रविवार को सूर्य भगवान की पूजा- अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में सूर्य को सम्मान, सफलता, प्रगति, उच्च सेवा, ऊर्जा, आत्मा तथा पिता का कारक ग्रह माना जाता है। कुडंली में सूर्य के मजबूत होने पर व्यक्ति को जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति कई तरह की परेशानियों का सामना करता है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। जो लोग आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ न कर पाएं वो 108 बार ‘ऊँ घृणि सूर्याय नमः’का जप करें। तांबे (Copper) के लोटे में जल लेकर उसमें कुमकुम या रोली घोलें और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। अर्घ्य अर्पित करते समय मन ही मन में अपनी कामना को उच्चारित कर भगवान सूर्य देव से प्रार्थना करें। सूर्य-चंद्र, अग्नि, वायु और जल साक्षात देवता हैं। ऐसा कहा जाता है कि यदि सच्चे मन से इनका आह्वान कर जो भी मनोकामना की जाती है वो पूरी है।
जिन जातकों की जन्मकुण्डली में सूर्य कमजोर है या नीच का है वो हर नित्य सूर्य का ध्यान करते हुए पीपल की जड़ में अर्घ्य अर्पित करें तो सूर्य के सभी दोष दूर हो जाते हैं। ध्यान रहे, रविवार को पीपल की जड़ में अर्घ्य नहीं देना है। रविवार को सीधे सूर्य की ओर मुंह करके दोनों हाथों में जल कलश लेकर उसे अपने माथे की ऊंचाई तक ले जाकर अर्घ्य अर्पित करें। अर्घ्य इस तरह अर्पित करें कि सूर्य की किरणें जल को पार कर सीधे आपकी आंखों तक पहुंचे। इस क्रिया को निरंतर करने से सूर्य के सारे दोष दूर होंगे।