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तुलसी की माला धारण से पहले जान लें ये नियम, जानिए फायदे और महत्व

photo courtesy Google

हिंदू धर्म में 'तुलसी के पौधे' की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि माता तुलसी पौधे के रुप में घर-घर सुख-समृद्धि बनाए रखती है। तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। तुलसी के पत्तों के साथ-साथ तुलसी की टहनियों से माला भी तैयार की जाती है। ऐसा बताया जाता है कि तुलसी की माला धारण करने पर विशेष लाभ मिलता है। हमारे घर में महिलाएं परिवार की सुख, समृद्धि के लिए तुलसी की पूजा करती है। तुलसी को घर के आंगन में लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

उसी तरह से तुलसी की माला को धारण करना बेहद लाभदायक माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी की माला पहनने से ना केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा भी पवित्र होते हैं। यह भी माना जाता है कि इसके औषधीय गुण भी तुलसी की माला पहनने से शरीर को प्राप्त होते हैं। तुलसी की माला पहनने से कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला से कई मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि तुलसी की माला से जाप करने से आप श्रीहरि के और करीब पहुंचते हैं। इसलिए आप भी तुलसी की माला धारण कर सकते हैं।

तुलसी माला धारण करने का नियम-

तुलसी की माला को पहनने से पहले गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद धारण करना चाहिए।

इस माला को धारण करने वाले लोग रोजाना जाप करना होता हैं. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती हैं।

तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए. इसका मतलब है कि खाने में लहसुन, प्याज, मांस- मछली आदि चीजों का सेवन करना निषेध होता है।

किसी भी स्थिति परिस्थिति में तुलसी की माला को शरीर से अलग नहीं करना चाहिए।

तुलसी की माला को ज्यादात भगवान विष्णु और कृष्ण के भक्त धारण करते हैं। इस माला को धारण करने से बुध और गुरू ग्रह मजबूत होते है। तुलसी की माला पहने से किसी भी प्रकार के वास्तुदोष से छुटकारा मिल जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी को वरदान है कि भगवान विष्णु केवल तुलसी के पत्तों को अर्पण वाली चीजों का प्रसाद ग्रहण करते है। उसी तरह जिन लोगों ने तुलसी माला घारण किया होता है भगवान विष्णु उस व्यक्ति को अपनी शरण में ले लेते है। तुलसी की कंठी माला धारण करने से व्यक्ति को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।