सनातन पंचाग का दूसरा मास यानी माधव मास जिसे वैशाख भी कहते हैं वो आज 17 अप्रैल से शुरू हो चुका है। स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है और सभी कार्यों का शुभारंभ ‘माधवाय नमः’से करता हैवो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान हरि नारायण की कृपा बनी रहती है और उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान विष्णु ही है। वैशाख महीने में जल दान और घट या यानी मिट्टी के घड़ों के दान का विशेष महत्व है। आईए, वैशाख मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं-
- इस महीने में मांसाहार, शराब और अन्य हर तरह के नशे से दूर रहें।
- वैशाख माह में शरीर पर तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए।
- सनातम धर्मावलम्बियों को दिन में नहीं सोना चाहिए, खाली समय में माधवाय नमः का संकीर्तन करना चाहिए
- खास, ध्यान रखने वाली बात यह कि इस महीने कांसे-फूल के बर्तनों में खाना नहीं खाना चाहिए।
- भोजन शाम ढलने से पहले ही कर लेना चाहिए। रात में भोजन नहीं करना चाहिए और बेड, पलंग, चारपाई पर नहीं सोना चाहिए।
- वैशाख मास में जल दान का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो इन दिनों में प्याऊ लगवाएं या मिट्टी के मटके का दान करें। राहगीरों के लिए मिट्टी के मटकों में पानी भर कर रखें
- बहन-बेटी-बुआ या किसी जरुरतमंद व्यक्ति को पंखा, खरबूजा, अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए।
- मंदिरों में अन्न और भोजन दान करना चाहिए, लंगर छकवाने चाहिए और शरबत की सवील लगवानी चाहिए।
- भोग वासना से दूर रह कर इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन करना चाहिए।
- माधव माह यानी वैशाख माह में ‘भगवान हरि माधव’की पूजा और ‘भगवान हरि माधव’कायज्ञ एक समय भोजन का व्रत करना चाहिए।