हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष। एकादशी व्रत महीने की त्रयोदशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। चलिए आपको बताते है कि आखिर कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा-
एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करे और व्रत का संकल्प लें। उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7धान उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें। वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5पत्ते लगाएं। अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें और धूप-दीप से विष्णु की आरती उतारें।
शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें। रात्रि के समय सोए नहीं बल्कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें। अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें और हां वरुथिनी एकादशी की कथा सुनना बिल्कुल भी न भूले।
कथा– पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव ने कोध्रित हो ब्रह्मा जी का पांचवां सर काट दिया था, तो उन्हें श्राप लग गया था। इस श्राप से मुक्ति के लिए भगवान शिव ने वरुथिनी एकादशी का व्रत किया था। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान शिव श्राप और पाप से मुक्त हो गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एक दिन व्रत रखने का फल कई वर्षों की तपस्या के समान है।