आज विनायक गणेश चतुर्थी है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। विनायक गणेश चतुर्थी व्रत गणेश भगवान को समर्पित होता है। व्रत में भक्त गणेश भगवान की पूजा अर्चना करते है और उपवास रखते है। हिंदू धर्म शास्त्रों में गणेश भगवान को सर्वप्रथम पूज्य माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्चे मन से विनायक गणेश चतुर्थी व्रत रखते है और विधि-विधान से गणपति की पूजा अर्चना करता है उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है और उस पर सदा विघ्नहर्ता का आशीर्वाद बना रहता है।
चलिए जानते है विनायक गणेश चतुर्थी व्रत और भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 13 जून 2021, रात्रि 09 बजकर 40 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 14 मई 2021, रात्रि 10 बजकर 34 मिनट तक
पूजा की सामग्री-
विनायक चतुर्थी पर पूजा से पहले इन सामग्रियों को एकत्रित कर लेना चाहिए। इसमें पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, गणेश प्रतिमा, कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत्, कलावा, जनेऊ, गंगाजल, इलाइची, लौंग, चांदी का वर्क, नारियल, सुपारी, पंचमेवा, घी, मोदक और कपूर। विनायक चतुर्थी व्रत से प्रभु की कृपा और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि-
विनायक गणेश चतुर्थी व्रत के दिन जातक ब्रह्म मूहर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें। लाल रंग के वस्त्र धारण करें. पूजाघर में सफाई के बाद गणेश भगवान को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। धूप जलाएं और 21 दूर्वा अर्पित करें. व्रत का संकल्प लें। दोपहर में पूजन के समय अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा व मिट्टी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें। षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें। श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं।
गणेश भगवान के प्रिय मंत्र- 'ॐ गं गणपतयै नम:' का जाप करें। श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें। शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें। शाम के समय भोजन ग्रहण करें।