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श्रीकृष्ण के मुकुट में क्यों लगाते हैं मोरपंख? क्या है कान्हा और मोरपंख का संबंध, जानिए रोचक कथा

श्रीकृष्ण के मुकुट पर मोर पंख

भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट पर मोर पंख लगाते थे, इस वजह से कृष्ण जी को मोर मुकुटधारी भी कहा जाता है। वैसे धार्मिक  मान्यताओं के मुताबिक बांसुरी और मोरपंख के बिना कान्हा का स्वरूप अधूरा है। भगवान श्री कृष्ण को मोरपंख बहुत प्रिय है। यही वजह है कि उनके मुकुट ओर हमेशा मोर पंख लगा होता है। शास्त्रों के मुताबिक विष्णुजी के अवतारों में से केवल कृष्ण ने मोर मुकुट धारण किया है। मालूम हो, कान्हा का मोरपंख पहनना केवल प्रेम या उसके प्रति लगाव ही नहीं है बल्कि इसके जरिये भगवान ने कई संदेश भी दिए हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कृष्ण जी के सिर पर आखिर क्यों सजा है मोरपंख।

राधा से प्यार की निशानी: कृष्ण जी के पास मोरपंख होना राधा से उनके अटूट प्रेम की निशानी है। मान्यताओं के अनुसार एक बार क़ृष्ण की बांसुरी पर राधा नृत्य कर रहीं थी तभी उनके साथ महल में मोर भी नाचने लगे। इस बीच एक मोर पंख नीचे गिर गया। तब से ही श्री कृष्ण ने इसे अपने माथे पर सजा लिया। मोरपंख को उन्होंने राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

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कालसर्प योग: मोर और सांप की दुश्मनी है। इसी वजह से कालसर्प योग में मोरपंख को साथ रखने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण पर भी कालसर्प योग था। कालसर्प दोष का प्रभाव करने के लिए भी भगवान कृष्ण मोरपंख को सदा साथ रखते थे।

शत्रु को दिया स्थान: श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे। मोर और नाग एक दूसरे के दुश्मन हैं।लेकिन कृष्णजी के माथे पर लगा मोरपंख यह संदेश देता है कि वह शत्रु को भी विशेष स्थान देते हें।