अगर रोटी मुलायम और ताजा हो तो आप एक-दो रोटियां ज्यादा खा लेते है। रोटियों को स्वादिष्ट बनाने के लिए आटा को गूंथकर कुछ देर तक रख देना चाहिए। ताकि आटा अच्छे से सेट हो जाए। आटा गुंथे वक्त हमारी उंगलियों से निशान उसपर आ जाते है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि महिलाओं के ऐसा करने के पीछे क्या वजह है?, वास्तु शास्त्र में इसका भी जिक्र किया गया है।
आटे या चावल से बने पिंड का संबंध चंद्रमा से माना जाता है और मान्यता है कि चंद्रमा के जरिए ही पिंड पितरों तक पहुंचता है, इसलिए पिंडदान करते समय आटे या चावल का गोला बनाया जाता है। माना जाता है कि जब इस तरह से पिंडदान किया जाता है तो पूर्वज किसी न किसी रूप में आकर उसे ग्रहण कर लेते हैं।
आटे के गोले को पूर्वजों का भोजन माना गया है इसलिए उसे यदि हम ग्रहण करेंगे तो हमें पाप लगेगा। इसी पाप से बचने के लिए महिलाएं आटा गूंथने के बाद उसका गोला बनाते समय उस पर अपनी उंगलियों से निशान जरूर बना देती हैं, ताकि वह भोजन हमारे खाने योग्य रहे। यही नहीं आटे के अन्य पकवान जैसे बाटी, बाफले, बालूशाही आदि के लिए आटे का गोला या लोई बनाते समय भी महिलाएं उसमें उंगली से एक छोटा सा गड्ढा बना देती हैं। ताकि वह पिंडदान के आटे के गोले की तरह न रहे।
मनोविज्ञान की नजर से देखें तो व्यक्ति को हर काम करने के बाद उस पर अपनी छाप छोड़ने की आदत होती है, फिर चाहे वह काम करने के बाद उस पर किए गए अपने हस्ताक्षर करना हों या किसी अन्य तरीके से अपनी मौजूदगी दर्शाना हो। आटे पर उंगलियों के निशान बनाने को भी इसका ही एक तरीका माना जा सकता है।
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