आज योगिनी एकादशी है। एकादशी का व्रत सारे पापों का नाश करता है, इसलिए महाभारत में युद्ध के बाद पांडवों को हत्या के पाप से मुक्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे एकादशी का व्रत करने के लिए कहा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के आज्ञाचक्र में निवास करने वाली योग माया देवी जिन्हें योगिनी भी कहते है, वो जागृत होती है। इन्हीं योगमाया की सहायता से भगवान विष्णु सारी सृष्टि का संचालन करते है।
योगिनी देवी का ही एक रूप योगनिद्रा भी है। पुराण कथाएं कहती हैं कि योगिनी एकादशी के दिन योग माया श्रीहरि के सामने प्रकट होती है और लगातार कई दिनों तक उनके अनवरत कार्य करते रहने के कारण उनसे निद्रा लेने के लिए विनती करती है। तब उनकी बात मानकर श्रीहरि देवशयनी एकादशी के दिन विश्राम करने जाते है। इसलिए भी सनातन परंपरा में योगिनी एकादशी महत्वपूर्ण है। योगिनी एकादशी व्रत में नियमों का विशेष महत्व होता है। कृष्ण पक्ष की इस एकादशी पर व्रत रखने से सारी बीमारियां दूर हो जाती है।
योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 4 जुलाई दिन रविवार को शाम 7 बजकर 55 मिनट से आरंभ होगी और 5 जुलाई को रात 10 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। यह व्रत 5 जुलाई को रखा जाएगा और इसका पारणा 6 जुलाई को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार 6 जुलाई को सुबह 5 बजकर 29 मिनट से सुबह 8 बजकर 16 मिनट तक व्रत का पारण किया जा सकता है।
ऐसे करें योगिनी एकादशी का व्रत
इस दिन सुबह स्नान करके घर के मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। धूप-दीप दिखाएं. फूल और तुलसी चढ़ाकर व्रत की कथा पढ़ें। माता लक्ष्मी को भी प्रणाम करें। आरती करके भगवान से प्रार्थना करें। इस व्रत का पारणा अगले दिन किया जाता है, लिहाजा व्रती इस दिन केवल फलाहार ही लें। व्रत के दिन दान जरूर करें, इससे सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी। अच्छी सेहत-समृद्धि मिलेगी।