हर माह दो चतुर्थी होती हैं। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी वैनायकी चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। जब यह चतुर्थी मंगलवार को आती है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी को पूजा-पाठ तंत्र-मंत्र की साधना के लिए विशेष दिन माना जाता है। आज के दिन बजरंग बली के साथ-साथ भगवान गणेश को भी सिंदूर चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है।
इस बार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी 02 मार्च 2021 मंगलवार (अंगारक चतुर्थी का व्रत) को है। इसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। द्विजप्रिय गणपति के स्वरूप में भगवान गणेश के चार मस्तक और चार भुजाएं हैं। भगवान गणेश के इस स्वरूप की अराधना करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं। भगवान गणेश की कृपा से अच्छी सेहत और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है। वैसे तो हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ढेरों व्रत-उपवास आदि किए जाते हैं, लेकिन भगवान गणेश के लिए किए जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत काफ़ी प्रचलित है।
क्या करें-
- भगवान गणेश को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। लाल सिंदूर का तिलक लगाने से गणेश भगवान प्रसन्न होते हैं। अपने माथे पर भी सिंदूर का तिलक लगाएं। आप नित्य भी भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को सिंदूर लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर संभव हो तो गणेश भगवान को लाल पुष्प अर्पित करें।
- भगवान गणेश को मोदक, लड्डू पसंद होते हैं। गणेश जी को मोदक, लड्डू का भोग लगाएं। आप अपनी इच्छानुसार भी भगवान गणेश को भोग लगा सकते हैं। अगर संभव हो तो विनायक चतुर्थी के दिन भोग में कुछ मीठा अवश्य बनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक भोजन का ही भोग लगाया जाता है।
क्या न करें-
- इस दिन मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। अंगारकी चतुर्थी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
- इस दिन शारीरिक संबंध भूल कर भी नहीं बनाने चाहिए। विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।