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नेपाल में कम मतदान से चीन की निकलीं चीखें, ड्रैगन के जासूस अब भी सक्रिए

नेपाल में कम मतदान से चीन क्यों दुखी

नेपाल की संघीय संसद और प्रांतीय विधान सभा के चुनावों में चीन का दखल चरम पर है। रविवार को हुए बेहद कम मतदान से चीन (China) की चिंताए बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि अधिकांश लोगों ने सियासी दलों की आपसी रंजिश को लेकर नाराजगी जाहिर की है। अगर कम मतदान रहता तो माना जाता है कि इसका लाभ सत्ताधारी गठबंधन हो सकता है। चीन (China) ने केपी शर्मा ओली पर दांव लगाया है। कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि नेपाल के तीन बड़े दलो को लगभग एक बराबर सीटें मिल सकती हैं।

इन्हीं आशंकाओं के चलते चीन (China ) ने अब सभी दलों के बड़े नेताओं से अलग-अलग सम्पर्क की शुरुआत कर दी है। ऐसा नहीं है कि भारत चुपचाप देख रहा है बल्कि भारत ने नेपाली जनता और जनप्रतिनिधियों से मन की बात सुनने का अनुरोध किया। भारत के इन प्रयासों को अमेरिका ने सहारा दिया है। नतीजे कुछ भी रहे। नेपाल राजनीतिक भविष्य मतपेतियों बंद हो चुका है।

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नतीजे जो भी सामने आएं उसका असर भारत और चीन दोनों की विदेश नीति को प्रभावित करेंगे। लेकिन नेपाल भी इससे अछूता नहीं रहेगा। नेपाल में अगर चीन समर्थक लॉबी की जीत होती है तो नेपाल की अधिकांश धार्मिक जनता की जिंदगी नरक समान हो जाएगी। नेपाली बाजार चीनी सामानों से भर जाएंगे। नेपाल की संस्कृति भ्रष्ट हो जाएगी। स्कूलों की भाषा मंडारिन हो जाएगी। नेपाल चीन के भोग विलास का स्थान बन कर रह जाएगा। चीन भारत के खिलाफ नेपाल की जमीन का इस्तेमाल करेगा। पाकिस्तान से आईएसआई के जासूस और आतंकवादी नेपाल के रास्ते भारत को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों आसानी से अंजाम पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।

मतलब यह की नेपाल में अगर चीन समर्थित सरकार बनी तो भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने वालों की मौज आ जाएगी। सबसे ज्यादा नुकसान नेपाल की आम जनता का होगा। भाषा-बोली, खान-पान और रहन-सहन से लेकर शिक्षा-दीक्षा पर चीन हावी हो जाएगा। चीन, इसके बदले नेपाल को सिर्फ मानसिक और मनोवैज्ञानिक दास्ता के अलावा कुछ नहीं देगा।

बहरहाल, नेपाल में रविवार शाम 5 बजे तक संघीय संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए हुए मतदान के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त दिनेश थपलिया ने कहा कि कुल 61 फीसदी मतदान हुआ। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह प्रारंभिक आंकड़े हैं..यह प्रतिशत थोड़ा बढ़ सकता है।” उन्होंने कहा, कम मतदान को देखकर आयोग भी हैरान है। हम कम मतदान के कारणों की भी जांच कर रहे हैं, लेकिन हम अभी तक किसी निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।

थपलिया ने कहा कि एक व्यक्ति की मौत हो गई और 15 मतदान केंद्रों पर चुनाव स्थगित कर दिए गए। चुनाव परिणाम आते ही हिमालयी राष्ट्र में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। थपलिया ने कहा कि मतगणना पूरी होने में आठ दिन लगेंगे। पिछले चुनाव 2017 में करीब 70 फीसदी मतदान हुआ था। पर्यवेक्षकों के अनुसार, इस बार कम मतदान को मतदाताओं में बढ़ती हताशा के रूप में लिया जा सकता है।