पाकिस्तान जैसे देशों में कोरोना वैक्सीन को लेकर तमाम तरह की अफवाहों को कट्टरपंथी मौलाना हवा देते रहे। पाकिस्तान में यह भी कहा गया कि कोरोना वैक्सीन में सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। किसी ने यह अफवाह उड़ा दी कि कोल्ड चैन बनाए रखने के लिए जो बॉक्स इस्तेमाल होता है उसे सूअर की खाल से बनाया गया है। तो कुछ ने कह दिया कि कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले मर्द नामर्द औक औरतें बांझ हो जाएंगी। पाकिस्तान में कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी तक इन अफवाहों का असर बरकरार है। भारत में भी कुछ लोगों ने ऐसी ही या इससे मिलती-जुलती अफवाहें फैलाने की कोशिश की, लेकिन यहां कट्टरपंथियों का असर कम होने के साथ ही अफवाहें भी जल्दी ही बेअसर हो गईं।
अब कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत या पाकिस्तान ही नहीं दुनिया भर के मुसलमानों में यह सवाल पैदा हो रहा है कि क्या रमजान के दिनों में रोजेदारों के लिए कोरोना वैक्सीन लगवाना जायज है या नहीं। पहली बार की तरह ही कुछ कट्टरपंथियों का कहना है कि रोजेदार तो सहरी के बाद से इफ्तार तक पानी की बूंद भी नहीं लेते तो फिर कोरोना का टीका लेना जायज कैसे हो सकता है।
रमजान के दौरान रोजेदारों को कोराना वैक्सीन लेना जायज है या नहीं इस विषय पर ‘Gulfnews.com’ ने एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में फकीह यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के लेबोरेटरीज के हेड डॉक्टर मैनन और दुबई में इस्लामिक अफेयर्स एंड चेरिटेबल एक्ट्विटी में फतवा डिपार्टमेंट के मुखिया शेख डॉक्टर अहमद बिन अब्दुल अजीज अल हद्दाद के बयानों को शामिल किया गया है। मेडिकल एक्सपर्ट के दृष्टिकोण से डॉक्टर मेनन ने कहा है कि सामान्य लोगों के रोजेदारों पर वैक्सीन का असर ज्यादा अच्छा असर होता है। वहीं शेख डॉक्टर अहमद बिन अब्दुल अजीज अल हद्दाद ने कहा कि रोजे के दौरान मुंह के जरिए पानी, खाना या दवाई लेना नाजायज हो सकता है। कोरोना वैक्सीन तो इंजेक्शन से इंट्रामस्कुलर ली जा रही है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के बावजूद रोजेदारों के ईमान और रोजे पर कोई असर नहीं होगा।
ध्यान रहे, जब कुछ कट्टरपंथी कोरोना वैक्सीन को लेकर अफवाह फैला रहे थे उसी समय यूएई और सऊदी अरब में वैक्सीनेशन शुरू भी हो चुका था। दुबई से निकले फत्वे को कट्टरपंथी मानते या नहीं इस पर मुस्लिम देशों की सरकारों को देखना होगा।