दिल्ली में धमाका करने वाली ताकतें मुंह चिढा रही हैं भारतीय एजेंसियों का…कह रही हैं देखों, हम तुम्हारे घर में बैठे हैं, देखो हम जहां चाहें, जब चाहें हमला कर सकते हैं।…अब अगर यह चर्चा न की जाए किआखिर एनडीए सरकार के सात साल में पहली बार अचानक आतंकियों में इतनी हिम्मत कैसे और कहां से आ गई की 29जनवरी को बीटिंग रिट्रीट के समय दिल्ली के सुपर वीवीआईपी इलाके में बम धमाका कर दें , तो इसका जवाब तथाकथित (किसान) आंदोलन में छिपा है। भेड़ की खाल में छिपे कुछ भेड़ियों को मौका मिल गया…बस!
दिल्ली के सुपर वीवीआईपी इलाके में इजराइली एम्बेसी के नजदीक 29तारीख को ही धमाका क्यों किया गया? कैसे किया गया? किन लोगों ने किया ये धमाका?धमाके पीछे कौन सी ताकते हैं? इस धमाके का मकसद क्या था? एक नहीं कई सारे सवाल हैं। सवालों के जवाब भी होंगे। देने वाले अपने-अपने तरीके से इन सवालों का जवाब भी देंगे। भारत में इजराइली दूतावास, इजराइली मिशन और इजराइली नागरिकों में दहशत में डालने के लिए 29जनवरी को ही संभवतः इसलिए चुना गया होगा क्योंकि आज भारत और इजराइल के डिप्लोमैटिक सम्बंधों का 29साल पूरे हो रहे हैं। यह तथ्य बहुत महत्वपूर्ण है। 29जनवरी को भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है। इजराइल और भारत के दुश्मनों ने हाथ मिलाया और धमाका कर दिया। भारत को चुनौती दी गई कि घर में घुस धमाका कर सकते है। इजराइल को धमकाया गया कि तुम्हारे सबसे नजदीकी दोस्त के घर में हमला कर सकते हैं। दिल्ली में इजराइल एम्बेसी के पास बम धमाका करने वाले चाहे जो भी हों वो बहुत जल्दी इंडियन एजेंसियों की पकड़ में होंगे।
इतिहास के पन्नों को पलटिए और देखिए की नौ साल पहले 13फरवरी को भी 2012को दिल्ली की इसी रोड पर इजराइली दूतावास की कार को स्टिकर बम से निशाना बनाया गया था। उन दिनों इस रोड का नाम औरंगजेब रोड हुआ करता था। अब अब्दुल कलाम रोड है। इसी रोड के इंटरजंक्शन पर लाल रंग की एक मोटर साइकिल सवार ने स्टिकर बम चिपका दिया और कुछ दूर जाकर रिमोट से धमाका कर दिया। इस धमाके में इजराइली राजनयिक ताल येशुहोवा और तीन अन्य जख्मी हुए थे। इस आतंकी हमले में ईरानी आतंकी गिरोह हिजबुल्ला और अमाद मुघनियाह का हाथ सामने आया था। इन आतंकी संगठनों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से भारत में स्लीपर सेल का इस्तेमाल किया। एक भारतीय को भी इस आतंकी हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। यह शख्स इस्लामिक कल्चर रिसर्च सेंटर से संबंधित था। इजराइल पर आतंकी हमला करने वाले आतंकियों को इसी शख्स ने अपने यहां पनाह दी थी।
- खूब सोच समझ कर रची गई धमाके की साजिश
वापस लौटते हैं, आज की वारदात पर। यह धमाका भले ही लो डेंसिटी का हो या हाई डेंसिटी का। अगर धमाके वाली जगह पर खड़ी कारों में कुछ लोग होते तो उनकी जान जा सकती थी। क्यों कि इस धमाके से पांच कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। इस वारदात का दूसरा सवाल था कि धमाका कैसे किया गया। दिल्ली पुलिस ने फौरी तौर पर जानकारी दी कि यह आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से धमाका किया गया। दूसरी खबर आई कि चलती गाड़ी से बम फेंका गया और रिमोट से धमाका किया गया। तीसरी और सबसे सटीक जानकारी आई की बम को फ्लॉवर पॉट में प्लांट किया गया था। एफएसएल टीम को धमाके वाली जगह से एक बोतल और उसमें कोई केमिकल मिला है। इसका मतलब यह कि धमाका करने वालों ने खूब अच्छी तरह से जगह को चिन्हित किया था। वो अच्छी तरह से जानते हैं कि कहां-कहां बम फिट किया जा सकता है। और बिना पकड़ में आए कब फोड़ा जा सकता है।
तीसरा और चौथा सवाल किन लोगों ने किया ये धमाका, कौन सी ताकतें हैं इस हमले के पीछे? इस सवाल का जवाब रॉकेट साइंस जितना कठिन नहीं है। सीधा और सरल है। जो ताकतें इजराइल और भारत की दुश्मन है उन्हीं ने यह धमाका करवाया है। वो ताकतें ही इस हमले के पीछे हैं। अब इसका प्रति प्रश्न (काउंटर क्वेश्चन) हो सकता है कि भारत और इजराइल दोनों का दुश्मन कोई एक कैसे और कौन हो सकता है। तो इसका सीधा सा जवाब है कि वो ताकत है पाकिस्तान। पाकिस्तान ने इजराइल को अभी तक दुश्मन ही नहीं मानता बल्कि संप्रभु देश भी नहीं मानता। हाल ही में पाकिस्तान ने शाहीन-3नाम की मिसाइल का भी परीक्षण किया। कहा जाता है कि पाकिस्तान शाहीन-3को तेलअबीब पर परमाणु हमले के लिए कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान भारत में इजराइली दूतावास पर सीधे-सीधे हमला करने का जोखिम नहीं उठा सकता है। 13फरवरी 2012की तरह यह बात को सौ फीसदी सच निकलेगी इस हमले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी शामिल थी, मगर अकेली नहीं।
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दो आतंकी गिरोहों का गठजोड़
ऐसा दिखाई देता है कि पाकिस्तान ने इस हमले में ईरान के आतंकी गिरोहों की मदद की है। यह भी संभव है कि पाकिस्तान ने ईरान को यह मदद आतंकी संगठन अलकायदा के सरगनाओं को शरण देने की एवज में दी है। ईरान के आतंकी गिरोह भारत में इजराइली दूतावास पर कोई भी हमला पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के बिना नहीं कर सकते। ईरान और भारत के संबंध ठीक-ठाक हैं। ईरान में चाबहार जैसा प्रोजेक्ट भारत कर रहा है। ईरान और भारत के बीच तेल-चावल का बिजनैस भी अच्छा होता है। इसलिए ऐसा जान पड़ता है कि ईरानी गिरोहों ने आईएसआई के हथियारों का इस्तेमाल किया और इजराइल पर निशाना लगा दिया। दूसरी ओर बेशर्म पाकिस्तान के पास बहाना है कि ईरानी आतंकी तो शिया हैं। हम सुन्नी हैं। हमारा उनसे छत्तीस का आंकड़ा है। हम पर गलत आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन अब भारत-इजराइल अमेरिका, अरब और यूरोप अच्छी तरह से जानते हैं कि सुन्नी मुसलमान पाकिस्तान ने शिया ईरान की राजधानी के तेहरान के बीचों-बीच अलकायदा का नया हेड क्वार्टर बनाया है। अगर 7अगस्त 2020को इजराइल के खुफिया एजेंटों ने अबू मोहम्मद मसरी उर्फ अब्दुल्ला अहमद अब्दुल्ला, उसकी बेटी समेत और ओसामा बिन लादेन के बेटे हमजा की विधवा को न मार गिराया होता तो यह रहस्य कभी न खुलता कि पाकिस्तान ने अलकायदा को ईरान की राजधानी तेहरान में ट्रांस्फर कर दिया है।
पांचवा सवाल, इजराइली एम्बेसी के पाक धमाके के पीछे मकसद क्या है? मकसद साफ है। हिंदुस्तान की हिम्मत को चुनौती देना है। भारत के धैर्य को चुनौती देना। बीटिंग रिट्रीट के साथ दिल्ली में इजराइली दूतावास के नजदीक हमला, भारत की सरकार और भारत के एनएसए अजित डोबाल को चुनौती है। ये ताकतें मुंह चिढा रही हैं भारतीय एजेंसियों का। कह रही हैं देखों हम तुम्हारे घर में बैठे हैं, देखो हम जहां चाहें, जब चाहें हमला कर सकते हैं। अब अगर यह चर्चा न की जाए कि आखिरएनडीए सरकार के सात साल में पहली बार अचानक आतंकियों में इतनी हिम्मत कैसे और कहां से आ गई की 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट के समय दिल्ली के सुपर वीवीआईपी इलाके में बम धमाका कर दें। तो इसका जवाब तथाकथित (किसान) आंदोलन में छिपा है। भेड़ की खाल में छिपे कुछ भेड़ियों को मौका मिल गया…बस!!!