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कश्मीर में SADAT की आहट, श्रीनगर के ताजा हमलों में एर्दोगान के आतंकियों का हाथ?

Erdogan's Private Militia 'SADAT'

क्या कश्मीर में हालिया आतंकी वारदातों के पीछे तुर्की के सादात (SADAT) का हाथ है?क्या सादात (SADAT) पाकिस्तान में कश्मीरी आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा है? क्या तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान ने इमरान खान के साथ मिल कर कश्मीर में भारत के खिलाफ साजिश शुरू कर दी है?  ये आशंका इस लिए इसलिए बलवती हो रही हैं क्यों कि इन्हीं दिनों पाकिस्तानी और तुर्की फौजें युद्धाभ्यास कर रही हैं। यह युद्धभ्यास तीन हफ्तों का है। कहने को तो यह युद्धाभ्यास आतंकरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए किया गया है। लेकिन अर्मेनिया और अजरबैजान के युद्ध के बाद से लगातार ऐसी खबरें आ रही थीं कि तुर्की कश्मीर में अंशाति फैलाने के लिए अपने लड़ाके भेज रहा है। तुर्की, कश्मीर पर वही भाषा बोलता रहा है जो पाकिस्तान के पीएम इमरान खान बोलते हैं। इन आशंकाओं के बीच तुर्की की सेना के साथ पाकिस्तानी फौज के युद्धाभ्यास से भारत सतर्क है। यह संयोग ही कहा जाएगा कि इसी बीच एक बार फिर कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर से सिर उठाने की कोशिश की है। यूरेपियन यूनियन के डिप्लोमैट्स की मौजूदगी में डल लैक के पास कृष्णा ढाबा पर फायरिंग की घटना हो या फिर श्रीनगर मेन मार्केट में दो सुरक्षाबलों पर धोखे से गोलियां दागने का मामला हो यह उसी अवधि में हुई हैं, जब तुर्की और पाकिस्तानी फौजों का संयुक्त अभ्यास परवान चढ़ रहा था।

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान के खुराफाती दिमाग की उपज सादात (SADAT) खुद को ‘इंटर नेशनल डिफेंस कंसलटेंसी’कहता है। यह लगभग वैसे ही काम करता है जैसे अमेरिका का ब्लैक वाटर करता है। यह भाड़े के सैनिकों की भर्ती करता है। ब्लैक वाटर अमेरिकी सैनिकों की जगह तैनात किए जाते हैं और आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन्स को अंजाम देते हैं, जबकि तुर्की के सादात (SADAT)में भाड़े के आतंकी होते हैं जो पैसों के लिए किसी दूसरे देश में हिंसा और अराजकता फैलाते हैं। तैयप एर्दोगान ने अर्मेनिया के खिलाफ अजरबैजान को ऐसे ही आतंकियों को जंग में झौंक दिया था। पाकिस्तान ने भी बड़ी संख्या में आतंकियों को अजरबैजान की तरफ से लड़ने के भेजा था।

ध्यान रहे कश्मीर में हिंसा फैलाने की साजिश को लेकर ग्रीस ने भारत को पहले ही चेतावनी दी थी। ग्रीस की एक मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया था कि पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन अपने भाड़े के लड़ाकों को कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए भेजने वाले हैं। इसके लिए एर्दोगन के एक सैन्य सलाहकार ने कश्मीर को लेकर अमेरिका में सक्रिय एक आतंकी गिरोह के सरगना का सहयोग भी लिया है।ग्रीस की पेंटापोस्टाग्मा (Pentapostagma)  वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिकतुर्की के भाड़े के लड़ाकों का गिरोह सादात (SADAT) अब कश्मीर में एक्टिव हो चुका है।

सादात (SADAT)का नेतृत्व एर्दोगन का मिलिट्री एडवाइजर अदनान तनरिवर्दी करता है। जिसने कश्मीर में बेस तैयार करने के लिए कश्मीर में जन्मे सैयद गुलाम नबी फई नाम के आतंकी को नियुक्त किया है। फई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पैसों पर भारत के खिलाफ भाड़े के सैनिकों की भर्ती करने और टैक्स चोरी के लिए अमेरिका की जेल में दो साल की सजा काट चुका है।

सैयद गुलाम नबी फई का जन्म जम्मू और कश्मीर के बढगाम में अप्रैल 1949 में हुआ था। यह कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी का भी सक्रिय सदस्य है। फई ने अमेरिका में कश्मीर के खिलाफ साजिश रचने के लिए अमेरिकी काउंसिल ऑफ कश्मीर (KAC) की स्थापना की थी। इस संस्था की फंडिग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई करती है। इस बात की पुष्टि खुद अमेरिका की एफबीआई ने की है। यह संगठन अब तुर्की के सादात (SADAT)और ‘इस्लामिक दुनिया’नाम के एक एनजीओ के साथ मिलकर कश्मीर में साजिश रच रहा है।

 (SADAT)भाड़े के विद्रोहियों का समूह है, जो तुर्की, सीरिया, लीबिया समेत कई देशों में जिहादियों को प्रशिक्षित करने और हथियार-रसद की आपूर्ति का काम करता है। इसमें बड़ी संख्या में तुर्की की सेना के रिटायर्ड फौजी भी शामिल हैं। तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान सादात (SADAT)के सहारे इस्लामी सेना बनाने के सपने देख रहे हैं। इन आशंकाओं के मद्देनजर भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क तो हैं लेकिन किसी ने भी एर्दोगान की इस प्राइवेट मिलिशिया 'सादात' (SADAT) की कश्मीर में मौजूदगी के बारे में कोई बयान नहीं दिया है।