पाकिस्तान की बर्बादी का काउंट डाउन शुरू हो गया है। एफएटीएफ (FATF) की बैठक शुरू हो चुकी है। इसी बैठक मे पाकिस्तान (Pakistan) को ब्लैकलिस्ट करने या फिर ग्रे लिस्ट में ही रहने पर फैसला लिया जाना है। आखिरी फैसला 26 फरवरी को होगा। मीटिंग के फैसले से पहले ही विशेषज्ञों ने कह दिया है कि पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट से निकलना मुश्किल है। फ्रांस और जर्मनी समेत कई देशों ने एफएटीएफ से कहा है कि पाकिस्तान के साथ किसी तरह का नरम व्यवहार न रखा जाए। क्यों कि पाकिस्तान आतंकी गिरोहों को वित्तीय मदद देने वाले स्रोतों पर रोक नही लगा पाया है।
पाकिस्तानी मीडिया ने लिखा है कि कुछ यूरोपीय देश, खासकर फ्रांस ने FATF को सलाह दी है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा जाए। उनका कहना है कि इस्लामाबाद ने सभी बिंदुओं पर पूरी तरह से काम नहीं किया है। दूसरे देशों ने फ्रांस का समर्थन किया है। फ्रांस पैगंबर कार्टून के मुद्दे पर पाकिस्तान की नाजायज प्रतिक्रिया से नाखुश है। पाकिस्तान ने पेरिस में स्थानीय राजदूत भी नहीं नियुक्त किया है।
फ्रांस की शार्ली एब्दो मैगजीन में छपे पैगंबर मोहम्मद के कार्टून विवाद में इमरान खान कूद पड़े थे और पाकिस्तानी पीएम ने कहा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मेक्रों 'जानबूझकर' अपने नागरिकों समेत मुस्लिमों को भड़का रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया था- 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने (मैक्रों) इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का रास्ता चुना है तभी तो आतंकवादियों पर हमला करने की बजाय इस्लाम पर हमला किया। आतंकवादी चाहे वह मुसलमान हो, श्वेत वर्चस्ववादी या नाजी विचार।'
इमरान ने कहा था कि इस समय फ्रांसीसी राष्ट्रपति को और ज्यादा ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने की बजाय जख्मों को भरने की कोशिश करनी चाहिए और अतिवादियों को जगह नहीं देनी चाहिए। इमरान खान ने कहा कि इस्लाम की समझ के बिना उस पर हमला बोलकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने पूरी दुनिया के अरबों मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है।
जानकारों का कहना है कि इमरान खान की लाख कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान जून तक ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल सकेगा। पश्चिमी देशों की आंखों में चढ़ा पाकिस्तान इन दिनों अपने सदाबहार देश चीन और तुर्की की मदद से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए सदस्य देशों का समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहा है। बीते कई महीनों में उसने आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की खानापूर्ति भी की है जिस पर अमेरिका तक ने निशाना साधा है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए दुनिया को इस भ्रम में रखना मुश्किल हो सकता है कि वह आतंक के खिलाफ कदम उठा रहा है
FATF की पूर्ण और कार्यकारी समूह की बैठकें 21 से 26 फरवरी के बीच पेरिस में होने वाली हैं। उन बैठकों में 'ग्रे' सूची में पाकिस्तान की स्थिति पर फैसला होने की पूरी संभावना है। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी। ग्रे सूची में शामिल देश वे होते हैं जहां आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज्यादा होता है।