चीनी राजदूत सान वी दोंग दिल्ली में बैठकर भारतीय मीडिया को धमकी दे रहे हैं और मीडिया के साथ सरकार कान में उंगली डालकर बैठी है! कौन सी मजबूरी है! विदेश विभाग ने अभी तक सन वी दोंग को लताड़ क्यों नहीं लगाई? सरकार और विदेश विभाग सो रहा है तो मीडिया क्या कर रहा है? एडिटर गिल्ड, पत्रकार संगठन, एनबीए सब क्या कर रहे हैं? वन चाईना पॉलिसी को मानने के सरकार क्यों मजूबर है ? चीन खुले आम कहता है कि हम कश्मीर को दो राज्यों में बांटे को वैध नहीं मानते, हम लद्दाख को भारत के केंद्रशासित राज्य का दर्जा नहीं देते? तो फिर भारत वन चाइना पॉलिसी मानने को क्यों मजबूर हैं? चीनी राजदूत सन वी दोंग में इतनी हिम्मत कहां से कैसे आ गयी कि वो भारतीय मीडिया को हिदायत दे कि ताईवान के नेशनल डे की कवरेज की जाए या न की जाए! सन वी दोंग बताएंगे कि भारतीय मीडिया को किस देश की कवरेज करनी है या नहीं करनी है? आखिर कारण क्या है जिनके चलते सोन वी दोंग प्रेस नोट जारी करके निर्देश जारी करने लगे?
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क्या भारतीय मीडिया में चीनी घुसपैठ बहुत गहरी हो चुकी है। चीन के राजदूत सान वी दोंग की हिमाकत देखकर ऐसा अहसास होता है कि भारतीय मीडिया में चीनी जासूसों की घुसपैठ काफी गहरी हो चुकी है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के हाथ केवल एक ही 'देशद्रोही' पत्रकार लगा सका है। क्या कुछ और भी मीडियाकर्मी टीवी-प्रिंट और डिजिटल मीडिया में चीन के हितों का संरक्षण कर रहे हैं। एक देशद्रोही पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद चीन के दूतावास को संकेत मिला होगा कि बाकी पेड (दोगले-देशद्रोही) संदिग्ध जर्नलिस्ट सरकार और सरकारी एजेंसियों की नजर में अपनी पाक-साफ दिखाने के लिए ताईवान के नेशनल डे की कवरेज बढ़ा-चढ़ा कर सकते हैं। इस समय भारतीय मीडिया में ताईवान के नेशनल डे की कवरेज का मतलब न केवल पूरी एशिया बल्कि दुनिया लगभग तीन चौथाई देशों में चीन की किरकिरी होना है। भारतीय मीडिया में ताईवान के नेशनल डे की कवरेज से तिब्बत-हांगकांग और शिनजियांग में चल रहे आजादी के आंदोलनों को बल मिल सकता है।
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चीन को यह भी डर है कि ताईवान के नेशनल डे की कवरेज भारतीय मीडिया में ठीक-ठाक ढंग से होगयी तो बांग्लादेश, नेपाल श्रीलंका, मंगोलिया, लाओस, म्यांमार और थाईलैण्ड के सामने उसकी किरकिरी हो जाएगी। भारतीय मीडिया की कवरेज से चीन के खरबों डॉलर के इनवेस्टमेंट पर खतरा खड़ा हो सकता है।
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चीनी राजदूत सन वी दोंग के 'डिक्टेट' पर कथित चीन प्रेमी जर्निलस्ट और पॉलिटिकल सेलेब्रिटीज को अब भी अपने गिरहवान में झांक कर देख लेना चाहिए। भारत में चीन के राजदूत सन वी दोंग के प्रेसनोट (डिक्टेट) पर ताईवान ने करारा जवाब दिया है। इस जवाब से सन वी दोंग और बीजिंग में बैठे उनके आका शी जिनपिंग को फुरफुरी तो आ ही गई होगी। सन वी दोंग की हरकत पर ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, 'भारत धरती पर सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां जीवंत प्रेस और आजादपसंद लोग हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि कम्यूनिस्ट चीन सेंसरशिप थोपकर उपमहाद्वीप में घुसना चाहता है। ताइवान के भारतीय दोस्तों का एक ही जवाब होगा- भाड़ में जाओ।'
#India🇮🇳 is the largest democracy on Earth with a vibrant press & freedom-loving people. But it looks like communist #China is hoping to march into the subcontinent by imposing censorship. #Taiwan's🇹🇼 Indian friends will have one reply: GET LOST! JW https://t.co/XxkSSxj5ms
— 外交部 Ministry of Foreign Affairs, ROC (Taiwan) 🇹🇼 (@MOFA_Taiwan) October 7, 2020
चीन का यह डर तो सही है लेकिन चीन या चीन का राजदूत भारतीय मीडिया को 'डिक्टेट' करने की हिम्मत कैसे जुटा सकता है? यह बहुत बड़ा सवाल है। इस सवाल के कई संकेत भी हो सकते हैं। उंगली उन मीडिया घरानों की ओर राजनीतिक दलों की ओर उठ सकती है जो चीन की गीदड़ भभकियों को चीन के ही शब्दों में जस का तस प्रसारित-प्रकाशित कर देते या जस का तस बक देते हैं।
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चीनी दूतावास ने भारतीय मीडिया के लिए जारी बयान में कहा गया है, 'ताइवान के आगामी तथाकथित राष्ट्रीय दिवस के बारे में भारत में चीनी दूतावास अपने मीडिया दोस्तों को याद दिलाना चाहता है कि दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है और पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार ही पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती सरकार है। ताइवान चीनी का अभिन्न हिस्सा है।' चीनी दूतावास ने बयान में आगे कहा है, 'चाइना के साथ कूटनीतिक संबंधों वाले सभी देशों को वन-चाइना पॉलिसी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का दृढ़ता से सम्मान करना चाहिए। भारत सरकार का भी लंबे समय से यही आधिकारिक रुख रहा है।' चीनी दूतावास ने कहा है, 'हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय मीडिया ताइवान को लेकर भारत सरकार के रुख पर चलेगा और वन-चाइना पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करेंगे। खासकर ताइवान को एक 'देश (राष्ट्र)' या 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' या चीन के ताइवान क्षेत्र के नेता को 'राष्ट्रपति' के तौर पर संबोधित नहीं किया जाएगा ताकि आम लोगों में गलत संदेश न जाए।'
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फिर से कहना पड़ रहा है कि चीनी राजदूत सन वी दोंग ने ऐसा दुस्साहस कर कैसे कर लिया। भारतीय मीडिया को सरकार का इंतजार करने के बजाए चीन और उसके राजदूत को ऐसा तमाचा जड़ना चाहिए जिसकी गूंज बीजिंग तक नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई देनी चाहिए।
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चीनी राजदूत सन वी दोंग के साथ दोस्ती रखने वाले भारतीय जर्नलिस्ट्स को आगे आकर इस 'डिक्टेट' का न केवल विरोध करना चाहिए बल्कि 10 अक्टूबर को ताईवान के राष्ट्रीय दिवस की जमकर कवरेज करनी चाहिए। चीनी राष्ट्रपति साइ इंग वेन को टीवी-प्रिंट और डिजिटल मीडिया में बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना और छापना चाहिए। ताकि किसी को यह कहने का मौका न मिले की भारतीय मीडिया में 'चीनी मोल्स' का दबदबा है। और हां, जो एक दो चीनी पिट्ठू छिपे हुए हों उनका पर्दाफाश भी हो जाए। इसके साथ ही चीनी राजदूत सन वी दोंग और उनके आका शी जिनपिंग की अक्ल ठिकाने लग जाए और वो भविष्य में ऐसी हिमाकत करने से पहले हजार बार सोचें।
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