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लाहौर जलसाः हालात बेहद खराब, सिविल वॉर की ओर बढ़ा पाकिस्तान

लाहौर जलसाः हालात बेहद खराब, सिविल वॉर की ओर बढ़ा पाकिस्तान

पीडीएम के झलसों की कामयाबी का असर<a href="https://hindi.indianarrative.com/world/saudi-arab-deported-1500-pakistani-imams-allegedly-have-contact-with-isis-terrorists-21411.html"><span style="color: #000080;"><strong> पाकिस्तान</strong> </span></a>की आर्मी और सरकार पर साफ दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान की सरकार से ज्यादा असर पाकिस्तानी फौज पर हो रहा है। पाकिस्तानी फौज ने नवाज शरीफ के पास मीडिएटर्स को भेज कर गुजारिश की है कि लाहौर जलसे (Lahore Jalsa) की  अपनी स्पीच में सेना का नाम सीधे तौर पर न लें। ऐसा कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की फौजी हुक्काम और नवाज शरीफ के बीच डील की कोशिश हो रही है। इसी डील के तहत नवाज शरीफ ने पहली बार लाहौर जलसे (Lahore Jalsa) में पाक आर्मी चीफ का नाम साफ तौर पर नहीं लिया लेकिन नवाज शरीफ ने यह जरूर कहा है कि अगर में इलेक्शन चोरी करने वालों को जिम्मेदार उन्हें (आर्मी) नहीं बताऊं तो किसे ठहराऊं। लेकिन दूसरी ओर लाहौर जलसे (Lahore Jalsa) में ही पीडीएम के नेताओं की  फौज को परोक्ष रूप से दी गई चेतावनियों से यह भी जाहिर हो रहा है कि पाकिस्तान के सियासी हालात बेहद खराब हैं। अगर फौज किसी मुकाम पर प्रधानमंत्री इमरान खान को बचाने के लिए आती है तो पाकिस्तान में सिविल वॉर तय है।

नवाज शरीफ ने लाहौर जलसे (Lahore Jalsa)  में फौज को सीधी चुनौती भी दी है। नवाज शरीफ का कहना था कि अगर पाकिस्तान के फौजी हुक्काम <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Pakistan_Democratic_Movement"><strong><span style="color: #000080;">पीडीएम</span></strong></a> के जलसों को रोकने की कोशिश करते हैं तो उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि दुनिया की कोई भी फौज अपनी जनता से लड़कर जंग नहीं जीत सकती। नवाज शरीफ की स्पीच से यह भी इशारा मिला है कि पीडीएम फौज से जंग के लिए तैयार हो चुकी है। पाकिस्तान के हालात आने वाले दिनों में और ज्यादा बिगड़ सकते हैं।

पाकिस्तान के फ्रीलांसर मीडिया पर भरोसा किया जाए तो नवाज शरीफ ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को बचाने की चालें चलते हैं तो उन्हें पाकिस्तानी अवाम की बगावत झेलने पड़ेगी। ध्यान रहे, लाहौर जलसे (Lahore Jalsa) को रोकने के लिए इमरान सरकार एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। जलसे के आस-पास के इलाकों की बिजली काट दी गई थी। मुकाम ए जलसा यानी मीनार-ए-पाकिस्तान के आस-पास कई जगहों पर पानी छोड़ दिया गया था।

जलसे से ठीक पहले इमरान खान ने कैबिनेट में भारी फेरबदल भी किया था। लाहौर जलसे (Lahore Jalsa) को रुकवाने के लिए इंटीरियर मिनिस्ट्री का चार्ज ब्रिगेडियर एजाज शाह से लेकर शेख रशीद के हवाले कर दिया था। शेख रशीद ने पीडीएम के नेताओं के पास अफसरों को भेजकर डराने की कोशिश की और कहा कि उनकी जान-माल को खतरा है इसलिए जलसे में न जाएं। इसके बावजूद लाहौर का जलसा हुआ और जलसे में लाखों लोग शामिल हुए।
लाहौर जलसे  लाहौर जलसे (Lahore Jalsa) के बाद दुनिया भर के लोग मान रहे हैं कि पाकिस्तान बेहद राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। सरकार की कमान प्रधानमंत्री इमरान खान के हाथ में न हो कर आर्मी चीफ जनरल बाजवा के हाथ में है। पीडीएम के नेताओं से हुई डील के बाद आर्मी चीफ के हस्तक्षेप से ब्रिगेडियर एजाज शाह को इंटीरियर मिनिटरी से हटाया गया। पीडीएम के घटक दल पीपीपी (पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) लगातार नाराजगी जता रही थी कि बेनजीर भुट्टो की हत्या की साजिश में शामिल ब्रिगेडियर एजाज को इंटीरियर मिनिस्टर क्यों बनाया गया है।

पीपीपी की नाराजगी को कम करने के लिए पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा और बिलावल भुट्टो के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी। पाकिस्तानी मीडिया कह रहा था कि पीडीएम के मूवमेंट से पीपीपी अलग होसकती है, लेकिन लाहौर जलसे के दौरान बिलावल ने भी साफ कर दिया कि उनका रवैया फौज के लिए तो नरम हो सकता है लेकिन इमरान खान के लिए नरम बिल्कुल नहीं होने वाला है। इधर इमरान ने भी एक टेलिवीजन पर अपने इंटरव्यू में कहा है कि कुर्सी छोड़ सकते हैं लेकिन विपक्ष के आगे नहीं झुकेंगे।

कुल मिलाकर लब्बोलुबाब यह है कि पाकिस्तान की 11 विपक्षी पार्टियां एक होकर इमरान खान का तखता पलटने के लिए लगातार आगे बढ़ रही हैं। उनका रवैया फौज को लेकर कुछ नरम तो पड़ा है लेकिन फौज को चुनौती देना बंद नहीं किया है। विपक्ष इमरान खान के कुर्सी न छोड़ने पर सीधी बगावत भी कर सकता है अगर फौज सड़कों पर आई तो पाकिस्तानी अवाम और फौज में सीधा मुकाबला यानी गृहयुद्ध तय है।.