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Lloyed Austin India Visit: अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन के दिल्ली पहुंचते ही चीन और पाकिस्तान में खलबली, कुछ बड़ा होने वाला है!

पेंटागन चीफ लॉयड के दिल्ली पहुंचते ही पाक-चीन में मची चीख पुकार!

अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन के आने से चीन और पाकिस्तान बुरी तरह जल-भुन गए हैं। पाकिस्तान ने इस बार अपनी रणनीति बदलते हुए ‘मीठा बोलकर धोखा देने’की योजना बनाई है। वहीं चीन दिल्ली में लॉयड ऑस्टिन की मौजूदगी को बिल्कुल भी पचा नहीं पा रहा है। चीन को डर है कि लॉयड ऑस्टिन अमेरिका की उसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने आए हैं जिसे ट्रंप प्रशासन के आखिरी दिनों में मार्क पोम्पियो और एस्पर भारत आए थे। कहने का मतलब यह कि बाइडेन प्रशासन इंडो-पैसेफिक इलाके में चीन के खिलाफ ट्रंप की नीति को ही आगे बढ़ा रहा है।

अमेरिकी प्रशासन ने भारत के साथ सैन्य संबंधों को और अधिक मजबूती देते हुए 1हजार 118 करोड़ रुपये की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की डील साइन की है। अमेरिका भारत को पांच हजार एंटी टैंक मिसाइल दे रहा है। ये मिसाइल बेहद घातक और किसी भी तरह के टैंकों को ध्वस्त करने में कामयाब हैं। इन मिसाइलों के आने से भारत की ग्राउंड फोर्सेस एशिया में जमीनी युद्ध में सबसे घातक साबित होंगी। मतलब यह कि इन मिसाइलों के आने के बाद भारत की ग्राउंड फोर्सेस को ‘अजय’ होने का तमगा कोई भी जंग लड़ने से पहले ही मिल जाना है। पाकिस्तान और चीन को मालूम है कि लॉयड ऑस्टिन के दिल्ली आने पर बाकी बातें तो होनी ही हैं लेकिन उनके अलावा भारत की सैन्य शक्ति में बेताहाशा बढ़ोतरी भी है।

इसके अलावा अमेरिका भारत को ‘मल्टी-मिशन’ सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन देने के करार पर भी साइन करने वाला है। ये अमेरिकी ड्रोन भारतीय सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) तीनों में शामिल किए जाएंगे। एक और महत्वपूर्ण डील लगभग सवा सौ लड़ाकू जहाज की डील है। यह डील 18 अरब डॉलर की है।

दरअसल, ये डील जितनी भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं उससे ज्यादा अमेरिका के लिए हैं। इसलिए अमेरिका भारत के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिकी प्रशासन ने लॉयड ऑस्टिन की भारत यात्रा से पहले ही बयान दिया था कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर अमेरिका ने आंख बंद नहीं कर रखी हैं। ये बयान पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संकेत है कि कश्मीर में आतंक को खत्म नहीं किया तो अमेरिका कश्मीर पर न केवल भारत के रुख का समर्थन करता है बल्कि जरूरत पर आतंक के खिलाफ भारत की कार्रवाई को अमेरिका का समर्थन रहेगा। इसी के साथ चीन के साथ सीमा विवाद पर बाइडेन भारत की सैन्य कार्रवाई मदद का प्रस्ताव दे चुके हैं। हालांकि भारत ने इस प्रस्ताव को विनम्रता पूर्वक मना कर दिया है।

कहने का मतलब यह है कि अमेरिका का भारत को सैन्य समर्थन पाकिस्तान और चीन के लिए अपन हदों मे रहने की चेतावनी है। भारत ने इसी बीच अपने पुराने सहयोगी रूस के साथ संबंधों को भी फिर से सुदृढ़ बनाया है। रूस के साथ चल रही सैन्य समझौतों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। भारत ने रूस के साथ सुखोई एम-57 परियोजना की फिजीबिलटी खोजना शुरू किया है।

दुनिया की दोनों महाशक्तियों के साथ शक्ति संतुलन साधने के साथ रही भारत ने आक्रमण और प्रतिरक्षा प्रणालियों में खुद भी सेल्फ सस्टिनेंस की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। अब भारत केवल दुनिया से हथियार खरीदने वाला देश ही नहीं बल्कि दुनिया को हथियार बेचने वाला देश भी बन गया है। चीन के गले की फांस माने जाने वाले फिलीपींस को भारत ने ब्राह्मोस मिसाइल बेचीं हैं। इससे भी चीन काफी परेशान है। इसके ऊपर लॉयड ऑस्टिन की दिल्ली यात्रा ने चीन-पाकिस्तान के जले हुए पर नमक छिड़क दिया है। पाकिस्तान और चीन की मजबूरी यह है कि वो खुद जल-भुन तो सकते हैं लेकिन भारत का बाल भी बांका नहीं कर सकते।