क्या महाराष्ट्र की उद्धव सरकार कुछ ही दिन की मेहमान है? क्या एनसीपी ने सौ करोड़ की वसूली का ठीकरा उद्धव के सिर फोड़ दिया है? क्या शिव सेना और एनसीपी में तलवारें खिंच चुकी हैं? क्या बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी? बीजेपी सरकार बनाएगी तो किसके साथ वसूली के आरोपी मंत्री अनिल देशमुख की पार्टी एनसीपी के साथ या फिर वसूली सरकार के मुखिया शिवसेना के साथ? वाझे काण्ड के बाद महाराष्ट्र की सियासत में बहुत से सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों का जवाब अभी बीजेपी के नेतृत्व को ही मालूम है। जिसके बारे में बीजेपी नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है एनसीपी नेता शरद पवार के साथ उनकी मुलाकात तो हुई है लेकिन बहुत सी बातें हर किसी को बताने की नहीं होती। अमित शाह के इसी बयान से महाराष्ट्र में सियासत में घमासान तेज हो गया है।
इससे पहले शिव सेना के मुखपत्र सामना में अनिल देखमुख को एक्सिडेंटल गृहमंत्री करार दिया था। इसको लेकर एनसीपी के नेताओं ने सफाई दी और सामना की किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लेने को कहा।
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में देशमुख पर लगाए आरोपों और उन्हें 'ऐक्सिडेंटल' गृह मंत्री बताने को इसी मुलाकात से उपजी टीस के रूप में देख रहे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने 'सामना' में लिखा कि NCP के सीनियर नेताओं जयंत पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल ने यह पद लेने से इनकार किया था, इसलिए शरद पवार ने देशमुख को गृह मंत्री बना दिया।
राउत के इस कथन पर एनसीपी नेता और डेप्युटी सीएम अजित पवार ने कहा कि एनसीपी कोटे में किसे कौन पद मिलेगा, यह (एनसीपी सुप्रीमो) शरद पवार तय करते हैं। किसी और को इस पर सवाल उठाने का हक नहीं है। ऐसे बयानों से गठजोड़ में समस्याएं पैदा होंगी।
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने तंज कसा कि देशमुख ने गलतियां की हैं, तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खामोश क्यों हैं? बता दें, यूपीए का नेतृत्व शरद पवार को दिए जाने के राउत के बयान से कांग्रेस पहले ही शिवसेना से खफा है।
बहरहाल, शरद पवार से अहमदाबाद में मुलाकात की बात पर अमित शाह ने यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया कि हर बात सार्वजनिक नहीं की जाती। इससे सियासी जानकार कयास लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र में जल्द बड़ा उलटफेर हो सकता है, जिसे उद्धव सरकार के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखा जा रहा है।अहमदाबाद में बीजेपी के करीबी कारोबारी के कॉरपोरेट हाउस पर शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की अमित शाह के साथ बैठक हुई। अहमदाबाद जाने के लिए पवार ने प्राइवेट जेट इस्तेमाल किया था। ऐसा बताया जाता है कि जिस उद्योगपति के ऑफिस में अमित शाह और शरद पवार मुलाकात हुई थी वही उद्योगपति पहले बारामति में शरद पवार से मिला था।
ऐसा भी अफवाहें हैं कि शिव सेना बीजेपी से बात-चीत कर चुकी थी, और अनिल देशमुख को बर्खास्त करने और एनसीपी से नाता तोड़कर फिर से सरकार बनाने की बात हो चुकी थी। एनसीपी से नाता तोडने के लिए सामना में अनिल देशमुख को एक्सिडेंटल गृहमंत्री लिखा गया। इस बयान पर आक्रामक रुख अपनाने के बजाए एनसीपी ने रक्षात्मक रुख रखा और उद्धव को पटखनी देने के लिए बीजेपी के साथ सम्पर्क जोड़ा। एनसीपी और बीजेपी में वार्ता शुरू कराने की जिम्मेदारी प्रफुल्ल पटेल ने ली थी। शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। अमित शाह और शरद पवार में क्या बात हुई यह तो ये दोनों ही जानते होंगे लेकिन इस समय एनसीपी या शिवसेना के साथ सरकार बनाना खुद बीजेपी के लिए भी कांटों भरा ताज हो सकता है।