Hindi News

indianarrative

West Bengal Election: ममता बनर्जी का दबा ‘पैनिक बटन’ मान ली हार? विपक्षी दलों से बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान

प. बंगाल ममता बनर्जी का पैनिक बटन दब गया क्या?

ममता बनर्जी की हालिया गतिविधियों को देखकर लग रहा है कि उन्होंने दूसरे राउंड के मतदान से पहले ही हार मान ली है। ममता बनर्जी ने सत्ता गंवाने के बाद अपनी भूमिका को बंगाल से बाहर निकाल कर पूरे देश में फैलाने की कार्य योजना बना ली है। सवाल यह भी है कि 2 मई यानी मतगणना और बंगाल में अगली सरकार के ऐलान में कम से कम एक महीने का समय है। तो ममता बनर्जी को अपनी अगली भूमिका को अभी से तय करने का फैसला क्यों करना पड़ा है।

इस सवाल का सामान्य सा जवाब है कि इस समय ममता बनर्जी प. बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। चुनाव प्रक्रिया चालू रहने के बावजूद उनकी संवैधानिक शक्तियां बरकरार हैं। शायद, यही वजह है कि ममता बनर्जी ने गैर भाजपाई दलों को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में ममता बनर्जी ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया है। इसका आश्य यह भी लगाया जा रहा रहा है ममता बनर्जी मान चुकी हैं कि बीजेपी के अकेले हराना मुश्किल है। इसलिए सबको साथ आना ही पड़ेगा। ध्यान रहे, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस लेफ्ट के साथ ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रही है। उस कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी ममता बनर्जी ने बीजेपी के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया है।

बीजेपी के नेता ममता बनर्जी की इन हरकतों से काफी खुश हो रहे हैं। बीजेपी कह रही है कि ममता बनर्जी का पेनिक बटन दब चुका है। बीजेपी चुनाव जीत रही है और प्रचण्ड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।

दर असल ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी, शरद पवार, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, अरविंद केजरीवाल, नवीन पटनायक, जगन रेड्डी, के.एस. रेड्डी, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और दीपांकर भट्टाचार्य को जो खत लिखा है वो बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने जैसा है। चिट्ठी के मजमून से लगता है कि ममता बनर्जी 2024 के लोक सभा चुनावों की तैयारी अभी से कर रही है।

ममता बनर्जी ने नेशनल कैपिटल टेरीटोरी ऑफ इंडिया (एमेंडमेंट), बिल का जिक्र करते हुए इसे पूरी तरह से संघीय व्यवस्था के खिलाफ करार दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी केवल यह दिल्ली के साथ नहीं कर रही है। वरन पूरे देश में ऐसा किया जा रहा है। गैर बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी राज्यपाल के माध्यम से समस्या पैदा कर रही है। ममता बनर्जी ने योजना आयोग का नाम बदल कर नीति आयोग रखने की भी निंदा की है।

उन्होंने लिखा है कि बीजेपी की सरकार सीबीआई, ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियां का विरोधी दल के नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। मोदी सरकार के निर्देश पर ईडी ने न केवल तृणमूल कांग्रेस बल्कि डीएमके सहित अन्य पार्टी के नेताओं के यहां छापेमारी की है। उन्होंने लिखा है कि अब यह समय आ गया है कि वह विश्वास करती हैं कि प्रजातंत्र और संविधान पर बीजेपी के आक्रमण के खिलाफ सभी को एकजुट होकर संग्राम करने की जरूरत है। ममता बनर्जी ने आखिर में लिखा है कि वो समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ लड़ाई करती रहेंगी। बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने एक योजना बनाए जाने की जरूरत है पर जोर दिया है।

बीजेपी नेतृत्व इस चिट्ठी के सामने आते ही उत्साह से लवरेज हो गया है। ममता ने समय से पहले यह लिखी चिट्ठी लिख कर अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। राजनीति के पंडितों का मानना है कि ममता बनर्जी की इस चिट्ठी का बंगाल के एलीट क्लब से लेकर गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले मतदाताओँ पर असर होगा। इस चिट्ठी से मुसलमानों का वोट बैंक भी खिसक सकता है। अगर मुस्लिम वोटर्स को अहसास हो गया कि ममता बनर्जी ने बिना लड़े ही हार मान ली है तो मुस्लिम वोटर्स किसी और के खाते में जा सकता है। जो भी हो, ममता बनर्जी की एक चिट्ठी ने एक दिन बीजेपी नेतृत्व को वो कामयाबी दिला दी है जिसके लिए वो पिछले दस साल से मेहनत कर रहे थे।