वाह री शिवसेना!तुमने साबित कर दिया कि तुम अब शिवसेना नहीं वास्तव में सोनिया सेना ही हो। इस ब्रह्माण्ड में अगर कहीं बालासाहेब ठाकरे की आत्मा होगी तो वो तुम्हें धिक्कार रही होगी। मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से अरबी भाषा में उस अजान पर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं है जिसमें चीख-चीख कर दूसरे धर्मों को धिक्कारा जाता है। दूसरे धर्म के ईश्वर को नकारा जाता है। जिसमें चीख-चीख कर कहा जाता है कि अल्लाह के सिवाए कोई नहीं जिसकी इबादत की जा सके। उद्धव ठाकरे, तुमने भी क्या सनातन हिंदू धर्म को छोड़कर मुस्लिम मजहब को अपना लिया है। अब क्या अल्लाह ही तुम्हारा ईश्वर है। क्या तुम भी उसी आलमी किताब को पढ़ने लगे हो जिसमेंलिखा हुआ है कि धरती चपटी है। क्या इसीलिए तुमने नवनीत कौर राणा पर राष्ट्रद्रोह का केस लाद दिया। उसने तो हनुमान चालीसा पढ़ने की चेतावनी भर दी थी। तुम्हारे गुर्गों ने उसे घर से बाहर ही नहीं निकलने दिया, तुमने पुलिस भेजी और गिरफ्तार कर लिया और अब राष्ट्रद्रोह भी लगवा दिया। उद्धव तुम्हारी पारी का अंत निकट है!
उद्धव ठाकरे, दुर्लभ बेबी पेंग्विन और शिवसेना के ‘चंदवरदाई’संजय राउत मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा से किसकी सांप्रदायिक भावनाएं भड़क रही थीं, तुम लोगों ने तो अभी तक मजहब परिवर्तन का ऐलान किया नहीं है। तुम्हारे घर के आस-पास तो कोई मस्जिद है नहीं। वैसे भी ‘मातोश्री’तोहिंदू ह्रदय सम्राट साहेब का घर है न! उनका डीएनए तो सनातनी था। वो शिवाजी के पदचिन्हों पर चलने वाले थे। क्या तुमने अपना डीएनए चेंज करवा लिया है, क्या तुम ‘अफजलखां’के खेमे में शामिल हो गए हो। क्या तुमने मातोश्री ‘मस्जिदश्री’ लिख कर लाउडस्पीकर टंगवा दिया है? क्या मातोश्री माफ करना मस्जिदश्री का मुअज्जिन कौन है तुम खुद, पेंग्विन या चंदवरदाई?
‘मनसे’के मन में हनुमान जी के लिए श्रद्धा जागने का कोई भी मकसद हो लेकिन इतना जरूर है कि भारत के सनातानियों को राज ठाकरे में एक बार फिर बाला साहेब की छवि दिखाई देने लगी है। तुम उसके सामने ‘अफजल खां’के पियादे जैसे दिखाई देते हो। वही अफजल खां जिसने छल से हिंदू ह्रदय सम्राट शिवाजी महाराज को छल से मारने की साजिश की थी लेकिन शिवाजी महाराज ने उसका पेट चीर दिया। खैर, तुम्हें यह कहानी सुनाने से क्या फायदा तुम अफजल खां नहीं बल्कि उसके पियादे हो, सोनिया सेना के वो पियादे जो सोनिया के इशारे के बिना शौचादि नित्यकर्म भी नहीं करते।
उद्धव ठाकरे! तुम्हें अफजल खां का पियादा क्यों कह रहा हूं? अरे तुम क्या जानो, तुम्हें बता दी देता हूँ, तुमने एक महिला के प्रण के आगे घुटने टेक दिए। तुमने डर कर एक महिला पर पुलिस बल का प्रयोग किया। तुम उसके प्रण से इतना डर गए थे कि पहले अपने गुर्गों को भेज कर उसका घर घेर लिया। तुम्हारे गुर्गों ने उस महिला को अपशब्द कहे। तुमने उस महिला को गिरफ्तार करवा लिया जिसने तुम्हारे मस्जिदश्री के सामने सड़क पर बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहती थी। ये मातृ शक्ति है। पता नहीं कितने ही मुगल-तुर्क-मुस्लिम शासकों ने भारत की मातृ शक्ति को अपमानित करने की कोशिश की। तुम घोषित तौर पर न तो तुर्क-मुगल या मुस्लिम हो और न अपने आजाद शासक। तुम्हारी हालत तो ब्रितानी रेजिडेंट कमिश्नर से भी बदतर है। तुमने निश्चित ही उसी के इशारे पर इस मातृ शक्ति का अपमान किया होगा जिसके इशारे पर शौचादि नित्यकर्म करते हो।
उद्धव ठाकरे! मातृशक्ति कभी अकेली नहीं होती। बीजेपी और मनसे नहीं उसके साथ सनातन की शक्ति है। तुम पतझढ़ के पत्तों की तरह उड़ते-बिखरते नजर आओगे। वो ‘नवनीत’नहीं महाराष्ट्र की नवीन क्रांति। तुमने मस्जिदश्री (मातोश्री तो बाला साहेब के घर का नाम था) के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने से भले ही रोक लिया हो लेकिन तुम्हारी इस हरकत ने महाराष्ट्र ही नहीं भारत सोये हुए सनातनी शेरों को जगा दिया है। अब सिर्फ हनुमान चालीसा ही नहीं पढ़ा जाएगा बल्कि घर-घर में नरसिंह अवतार निकलेंगे। छद्म के तंबुओं में छिपे ‘अफजल खांओं’के पेट भी चीरे जाएंगे।