एफएटीएफ में ब्लैकलिस्ट होने की आशंका से डरी पाकिस्तान की सरकार और मीडिया भारत पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एफएटीएफ की मीटिंग से पहले आतंक निरोधी कानून का मसौदा में सेनेट में पास न होने पर बौखलाए हुए थे। इमरान ने तो यहां तक कह दिया कि विपक्ष दल भारत की मदद कर रहा है। अब, नेशनल असेंबली में बिल पास हो जाने के बाद महमूद कुरैशी फिर पायजामे के बाहर निकल गये हैं। मुलतान में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कुरैशी ने कहा कि हमारी नेशनल असेंबली में आतंकविरोधी बिल पास हो चुके हैं। अब एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान को निजात मिल जाएगी। कुरैशी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि भारत की अब कोई भी चाल पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट नहीं करवा सकती।
सच्चाई यह है कि एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट की तलवार देख पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के पसीने छूटे हुए हैं। उन्होंने नेशनल असेम्बली में आतंकवाद विरोधी बिल तो पास करवा लिया है लेकिन उसको अमल में लाए जाने की संभावना बिल्कुल भी नहीं है। कोढ़ में खाज यह हुआ कि अमेरिका ने सीरिया में 29 पाकस्तानी आतंकियों को धर दबौचा। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई सीरिया में आतंकियों की मदद कर रही है। ऐसे सुबूत भी अमेरिका को मिले हैं। यह सारे तथ्य एफएटीएफ की बैठक में रखे जाने हैं। इन तथ्यों पर चर्चा के बाद पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट होने से कोई नहीं बचा सकता।
ध्यान रहे कि, 2018 से पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट हैं। पाकिस्तान को काफी मौके मिल चुके हैं मगर वो एफएटीएफ की शर्तों को पूरा नहीं कर सका है। एफएटीएफ के पैसेफिक ग्रुप ने पाकिस्तान के खिलाफ रिपोर्ट भेज दी है। इसी रिपोर्ट को अक्टबूर में होने वाली एफएटीएफ के सदस्य देशों के सामने रखा जाएगा। परस्पर चर्चा के बाद पाकिस्तान को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा और फिर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट घोषित किये जाने की प्रबल संभावना है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की नौटंकी करते हुए पाकिस्तान 3 आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दावा किया है। इमरान सरकार ने हाफिज सईद के दो गुर्गों को 16-16 साल की सजा सुनाई है। इस सजा को ऊपरी अदालत में चुनौती देकर खत्म या कम करवाया जा सकता है। पाकिस्तान में ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। जबकि मुंबई हमलों के मास्टर माइंड में से एक अब्दुल रहमान मक्की को महज डेढ़ साल की सजा सुनाई गयी है।
एफएटीएफ पाकिस्तान की इस नौटंकी को अच्छी तरह से जानता है। एफएटीएफ की मीटिंग से महज एक महीने पहले आतंक के खिलाफ बिल पास कराने के पीछे इमरान खान की मंशा क्या है इसे सब जानते हैं। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि काफी दबाव पड़ने के बाद एफएटीएफ के बार-बार कहने के बाद भी पाकिस्तान ने आतंकिओं की सूची नहीं सौंपी थी, लेकिन इस बार ब्लैक लिस्ट के कगार पर खड़े पाकिस्तान को मजबूरी में पाकिस्तान में रहने वाले आतंकियों की सूची सौंपनी पड़ी। सौंपी गयी आतंकियों की सूची में भारत के भगौड़े दाउद इब्राहीम का नाम भी शामिल है। लेकिन अभी तक पाकिस्तान ने दाउद समेत अन्य आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, इसका जवाब फिल्हाल उसके पास नहीं है। हालांकि हाल ही में पास करवाए गये बिल का हवाला पाकिस्तान दे सकता है लेकिन उसका कोई असर एफएटीएफ पर पड़ने की संभावना न के बराबर है। इसके अलावा सीरिया में अमेरिकी सुरक्षा बलों के हत्थे चढ़े 29 पाकिस्तानी आंतकियों ने इमरान खान चाल पर पानी फेर दिया है।.