Hindi News

indianarrative

परमबीर का लेटर बम: मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उलटी गिनती शुरू! कब तक खैर मनाएगी महाराष्ट्र की सरकार

कब तक खैर मनाएगी महाराष्ट्र की सरकार!

लेटर बम से सहमी महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई या समझौते के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इस में एक विकल्प परमबीर सिंह पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर सस्पेंड करने का भी है। ताकि परमबीर सिंह अधिकार और ताकत को कम किया जा सके। लेकिन डीजीपी स्तर के किसी अधिकारी के खिलाफ सस्पेंशन का आदेश भी राज्यपाल के आदेश से ही हो सकता है। राज्यपाल भगत सिहं कोशियारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे में पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है।

उद्धव को यह भी डर है कि परमबीर सिंह के खिलाफ अगर किसी भी कार्रवाई की फाइल राज्यपाल के पास भेजी जाती है तो उसके लीक होने का डर है। देर रात तक परमबीर सिंह पर काटने के लिए चली कार्रवाई में यह तय किया गया है कि सरकार अनुशासनहीनता के आरोप में परमबीर सिंह को शो कॉज नोटिस के साथ ही डीजी होमगार्ड के पद से हटा कर प्रतीक्षा में डाल सकती है। लेकिन ताजा हालात में राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी चुप नहीं बैठने वाले हैं। क्यों कि राज्य के गृह मंत्री पर गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए वो राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट मांग सकते हैं।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव-गृहसचिव और राज्य के विधि परामर्शी के साथ विचार विमर्श किया है। उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के डीजीपीरजीनश सेठ से भी परामर्श किया है। एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच फोन पर लम्बी वार्ता हुई है। ऐसा बताया जा रहा है कि अगर उद्धव ठाकरे परमबीर सिंह के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हैं तो वो कैबिनेट सेक्रेटरी के परामर्श पर परमबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। मतलब यह कि उद्धव परमबीर सिंह को निलंबित कर सकते हैं। लेकिन परमबीर सिहं की महाराष्ट्र शासन पर अच्छी पकड़ है। केबिनेट सेक्रटरी परमबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई से पहले लाभ हानि का परामर्श दे दिया है।

उद्धव ठाकरे चूंकि एनसीपी और कांग्रेस की बैसाखियों पर चल रहे हैं इसलिए उन्हें मालूम है कि उनका एक भी गलत कदम ठाकरे खानदान की सियासत पर ग्रहण लगा सकता है। यही वजह है कि उद्धव ठाकरे ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। ऐसा बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने शरद पवार के अलावा सोनिया गांधी से भी इस प्रकरण पर चर्चा की है। सोनिया गांधी ने उद्धव को सोच विचार कर जवाब देने को कहा है। मतलब यह है कि कांग्रेस भी उद्धव के साथ नहीं है। उद्धव के पास विकल्पों का अभाव है। उद्धव को यह भी सुझाव दिया गया है कि परमबीर से बात-चीत कर मामले को यहीं खत्म कर दिया जाए। उद्धव दुधारी तलवार पर चल रहे हैं। न तो वो अनिल देशमुख को मंत्रीमण्डल में रख चल सकते हैं और न एनसीपी की मर्जी के खिलाफ अनिल देशमुख को मंत्रीमण्डल से बाहर कर सकते हैं।

परमबीर सिंह ने जो चिट्ठी भेजी है उसकी भाषा को देख कर लगता है कि मुंबई में जो कुछ चल हा था उससे वो अनजान नहीं थे, लेकिन उन्होंने जानबूझ कर या मजबूरी में सबकुछ हो जाने दिया।

महाराष्ट्र की सियासत में पैदा हुई ताजा राजनीतिक हालातों का फायदा उठाने के लिए बीजेपी एकदम तैयार बैठी है। अगर उद्धव इस्तीफा देते हैं तो बीजेपी के प्रति सॉफ्ट रुख रखने वाले विधायकों का साथ लेकर देवेंद्र फड़नबीस सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। ऐसी संभावना भी है कि बीजेपी के नेताओं से मुलाकात करने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी से राज्य में कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मांग सकते हैं। अगर दोनों अधिकारियों की रिपोर्ट वैसी ही आती है जैसी संभावना बन रही है तो भगत सिंह कोशियारी उद्धव सरकार को बर्खास्त कर कुछ समय तक के लिए राज्यपाल शासन का ऐलान कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित करना पड़ेगा। अगर प्रधानमंत्री मोदी अचानक कैबिनेट की मीटिंग आहूत करते हैं तो यह संकेत हो सकता है महाराष्ट्र में राज्यपाल शासन लगने जा रहा है।