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पुदुचेरी में नारायण सामी की सरकार नहीं गई, पूरी कांग्रेस का बैंड बज गया!

Puducherry Narayan Sami Lost Government Congress lost States

पुदुचेरी में नारायम सामी सरकार के पतन के साथ ही दक्षिण भारत से कांग्रेस साफ हो गई है। अब सिर्फ तीन राज्य हैं जहां कांग्रेस ‘गांधी’ परिवार के नेतृत्व या भरोसे नहीं बल्कि वहां के स्थानीय नेताओं छवि और काम-काज के बदौलत टिकी हुई है। ये राज्य छत्तीसगढ़, पंजाब और राजस्थान हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बागी तेवर पहले पार्टी देख चुकी है।

तीन राज्यों में सरकार मगर सिर्फ एक में  ही चलता 'गांधी' परिवार का हुक्म

पंजाब में गांधी परिवार के निर्देश नहीं बल्कि अमरिंदर सिंह के कहने पर दिल्ली में नीतियां बनती हैं। राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलौत के बीच ज्वालामुखी फिल्हाल सुसुप्तावस्था में हैं कब फट जाए और रेगिस्तानी ऊंट किस करबट बैठ जाए कुछ नहीं पता। ले-देकर छत्तीसगढ़ एक अकेला राज्य है जहां के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह बघेल गांधी परिवार के निर्दशों पर कार्य करते नजर आते हैं। बघेल दिल्ली दरबार में आज भी पूरे समर्पण से हाजिरी बजाते हैं। पुदुचेरी सरकार गिरजाने के बाद बघेल भी अमरिंदर सिंह की चाल चलने लगें तो ये बात अलग है। पंजाब के स्थानीय निकाय चुनावों से जो हालिया फायदा मिला है उससे कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को नहीं बल्कि अमरिंदर सिंह को फायदा हुआ है।

महाराष्ट्र में लच जाएंगे कांग्रेसियों के डंक

महाराष्ट्र में सरकार सौदेबाजी कर सकती है, शिवसेना को झटका देकर सरकार गिराने की धमकी दे सकती है लेकिन उद्धव को मुख्यमंत्री पद से हटाकर अपना मुख्यमंत्री नहीं बना सकती। कांग्रेस के मुकावले शिवसेना के पास विकल्प बहुत ज्यादा हैं। झारखण्ड में भी कांग्रेस सहयोगी है। हेमंत सोरेन को कांग्रेस कुछ करने के लिए मजबूर करने की स्थिति में नहीं है। पुदुचेरी में नारायणसामी की सरकार गिर जाने के कारण जिन राज्यों में कांग्रेस सहयोगी है वहां भी उसकी स्थिति अब कमजोर हो सकती है।

लगातार खत्म हो रही कांग्रेस

देश के राजनीतिक पंडितों का कहना है कि 2019लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है। कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व मध्यप्रदेश की आंतरिक कलह को खत्म नहीं कर पाया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के साथ ही कांग्रेस सत्ता से हाथ धो बैठी। इसके बाद उपचुनावों ने साबित कर दिया कि जनमत कांग्रेस के साथ नहीं है। पहले कर्नाटक फिर मध्य प्रदेश और अब पुदुचेरी में विधानसभा चुनावों से चंद महीने पहले कांग्रेस का सत्ता से बाहर होना यह बताता है कि कांग्रेस का अवसान शुरु हो चुका है।

पांच राज्यों के विधान सभा में चुनावों में दुर्गति की घोर आशंका

केरल, तमिलनाडु, आसाम, बंगाल और पुदुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन पहले बदतर रहने की आशंकाए पैदा हो चुकी हैं। बंगाल की स्थिति सबके सामने है। आसाम में कांग्रेस के भाव जमीन पर हैं। पुदुचेरी में कांग्रेस शर्मसार है। तमिलनाडु में कोई चमत्कार ही कांग्रेस को सत्ता में ला सकता है। ले देकर केरल बचता है। केरल में बीजेपी के आने की संभावना बहुत कम हैं लेकिन श्रीधरन के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी का वजन बढ़ा है। वामपंथियों ने केरल में जन असंतोष को दबा रखा है। केरल में वामपंथी सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी हो सकती है लेकिन बंगाल में साथ-साथ लड़ने वाले वामपंथी केरल में कांग्रेस को घास भी डालने को तैयार नहीं हैं। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को संभालने वाली टीम के लोगों में से कुछ का कहना है कि पुदुचेरी की स्थिति सबको मालूम थी फिर समय रहते सही रणनीति नहीं बनाई जा सकी। नारायण सामी पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया गया। पुदुचेरी के स्थानीय नेताओं की उपेक्षा की गई। लगातार हो रहे इस्तीफों पर ध्यान इसलिए नहीं दिया गया कि दो महीने बाद चुनाव हैं तो क्या फर्क पड़ेगा। फर्क तो विधानसभा चुनाव के नतीजे दिखा देंगे।