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किसान तो खेतों में है! दिल्ली में एक बार फिर 'शाहीन बाग' जैसी साजिश है क्या?

किसान तो खेतों में है! दिल्ली में एक बार फिर 'शाहीन बाग' जैसी साजिश है क्या?

पिछले 11 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर जमे लोग असली किसान नहीं है। किसान तो खेतों में हैं। किसान गेंहु की गुड़ाई-मड़ाई में व्यस्त हैं। ये जो किसान के नाम पर दिल्ली बॉर्डर का  <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Shaheen_Bagh_Protests"><span style="color: #000080;"><strong>शाहीन बाग</strong></span></a> (Shaheen Bagh) जैसा  घेराव कर रहे हैं वो किसानों के नाम पर देश की जनता को धोखा देने वाले लोग हैं। किसान राजनीति नहीं करता है। किसानों को एमएसपी और मण्डी समितियों की चिंता थी। सरकार ने किसानों की चिंता दूर कर दी है। सरकार किसानों को उसकी मेहनत और फसल का बाजिव दाम दिलाना चाहती है। किसान केवल गेहुं, जौ, चना, धान, दाल-दलहन पैदा करने वाला इंसान नहीं बल्कि भारत की अर्थव्यस्था की पहचान निर्धारित करने वाला सम्मानित घटक है। <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/pak-agency-isi-conspiring-against-kisan-andolan-funding-through-hawala-20429.html"><strong><span style="color: #000080;">किसान</span></strong></a> जिद्दी नहीं है। किसान कभी सरकार को झुकाने में नहीं बल्कि अपना सिर सम्मान से उठाकर चलने में विश्वास रखता है। दिल्ली बॉर्डर पर शाहीन बाग (Shaheen Bagh) जैसा  जैसा कब्जा करके बैठे लोग सरकार को झुकाने और किसी भी तरह संघर्ष शुरू करने का बहाना ढूंढ रहे हैं। ये लोग चाहते हैं कि एक बार जेएनयू जैसा टकराव शुरू हो और फिर उसे शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में तब्दील कर गांव-गांव, शहर-शहर धरने-प्रदर्शन कर पूरे देश को बंधक बना लिया जाए। एक बार और शाहीन बाग (Shaheen Bagh) और 'दिल्ली दंगा' दोहराया जाए।

इसी सिलसिले में एक मीडिया संस्थान से बातचीत में केंद्रीय कृषि राज्‍य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है उन्‍हें नहीं लगता कि ये असली किसान हैं। चौधरी ने कहा, 'मैं नहीं मानता कि असली किसान, जो कि अपने खेतों में काम कर रहे हैं, वे इस बारे में चिंतित हैं।' उन्‍होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं और देश के किसान नए कानूनों के समर्थन में हैं।

कैलाश चौधरी ने कहा, "मुझे लगता है कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लोगों को भड़का रहे हैं। मुझे पीएम (नरेंद्र) मोदी के नेतृत्‍व और किसानों पर भूरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि किसान कोई ऐसा फैसला नहीं करेंगे जिससे देश में कहीं भी अशांति हो। इन कानूनों से उन्‍हें आजादी मिली है।

किसान संगठनों ने शनिवार को केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में हालात एक बार इतने बिगड़ गए कि मंत्री बैठक छोड़कर चले गए। बाद में यह बताने वापस लौटे कि अगले राउंड की बातचीत 9 दिसंबर को होगी। किसान संगठनों ने 8 दिसंबर (मंगलवार) को 'भारत बंद' बुलाया है।

जमहूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा, "केंद्र सरकरा हमारी मांगें सुनने के मूड में नहीं है और मुद्दे को भटका रही है। संधू ने दावा किया कि सरकार ने किसानों से युवाओं और बुजुर्गों को वापस भेजने की गुहार लगाई है। उनके मुताबिक, यह इशारा है कि सरकार पर दबाव बढ़ रहा है और वह कानूनों में संशोधन को तैयार है। भारतीय किसान यूनियन के अध्‍यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि मीटिंग डेढ़ घंटे तक इसलिए रुकी रही क्‍योंकि गतिरोध खासा बढ़ गया था। उन्‍होंने कहा, "हमने सरकार को बताया कि उन्‍हें पता है कि उन्‍हें क्‍या चाहिए और हमें बताएं कि उन्‍हें क्‍या चाहिए।.