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Mary Kom हारी नहीं हराई गई! टोक्यो ओलंपिक में इंडियन प्लेयर्स को हराने की साजिश का खुलासा- देखें रिपोर्ट

MC Mary Kom, Magnificent Mary Kom

टोक्यो ओलंपिक में एमसी मेरी कॉम का हारना, हर किसी को दुखी कर गया है, दरअसल ये मेरी कॉम की हार नहीं थी, भारतीय खिलाड़ियों के साथ एक साजिश थी,एक षडयंत्र था जिसका शिकार मेरी कॉम को बना दिया गया। ओलंपिक खेलों में, खिलाड़ियों को भेजना या जीतने पर प्रोत्साहन और हारने पर मनोबल बढ़ाना ही काफी नहीं है। सवा करोड़ से ज्यादा देशवासियों की निगाहें ओलंपिक मैदान से आने वाली खबरों पर रहती हैं। यह सही है कि भारत में भी क्रिकेट के दीवाने कुछ ज्यादा हैं लेकिन ओलंपिक में जब-जब तिंरगा ऊपर उठता है तो हर हिंदुस्तानी का सीना चौड़ा हो जाता है। उसी तरह जब हिंदुस्तानी खिलाड़ी हारता है तो टीस होती है, दर्द होता है, वेदना ऐसी कि दिल को चीर जाती है। खेल का मैदान हो या जंग का मैदान हिंदुस्तानी खिलाड़ी हों या सैनिक, हर किसी हिंदुस्तानी की संवेदना उनके साथ होती है।

इस समय लाखों-करोड़ों हिंदुस्तानियों उसी दर्द से गुजर रहे हैं जिस दर्द से मेरी कॉम गुजर रही है। मेरी कॉम रिंग में हारती तो लोग ठण्डी सांस आह भर कह लेते शेरनी बूढी हो गई है…मेरी कॉम की उम्र भले ही अगले ओलंपिक के लिए बाधा हो लेकिन वो बूढ़ी नहीं हुई है। मेरी कॉम रिंग में नहीं हारी है। रिंग में जीतने के बाद भी उसे हराया गया है। उसे हारा हुआ घोषित करने के पीछे टेक्निकल कारण बता दिए गए हैं!

कैसी अजीब बात है कि रिंग उतरने से ठीक 1 मिनट पहले उसे यूनिफॉर्म चेंज करने को मजबूर किया जाता है। उसी यूनिफॉर्म के कारण उसके अंक काट लिए जाते हैं। एक जीती हुई खिलाड़ी को हारा हुआ घोषित कर दिया जाता है।

ओलंपिक्स में जजेस के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती तो क्या इंडियन ओलंपिक कमेटी, खेल मंत्रालय-भारत सरकार इस बात की जांच नहीं करवा सकता कि आखिर वो कौन सी ताकतें थीं जो मेरी कॉम को हराने के लिए लामबंद थीं? क्या इंडियन ओलंपिक कमेटी या खेल मंत्रालय भारत सरकार उस शख्स को तलब नहीं कर सकता जिसने आखिरी क्षणों में मेरी कॉम को डिस्टर्ब्ड करने की कोशिश की! क्यों कि यह महज एक कोशिश नहीं बल्कि मेरी कॉम के खिलाफ एक साजिश है, एक षडयंत्र है जिसका शिकार उसे बना दिया गया! इन सब के बावजूद मैरीकॉम ने जो पंच जड़ें हैं उनमें कितनी पॉवर थी ये तो जज भी जानते हैं और वो प्रतिद्वंदी भी जिसे हारने के बाद भी विजेता घोषित कर दिया।

मेरी कॉम की पीड़ा पर अभी तक वो अभिजात्य वर्ग नहीं जागा है जो क्रिकेट के खिलाड़ियों के साथ हर छोटी-बड़ी बात पर खड़ा रहता है। एमएस धोनी की रेट्रो जर्सी और नए हेयर स्टाइल-लुक पर नेशनल बहस सी छिड़ जाती है। करीना के बड़े-छोटे बेटे ने क्या खाया, क्या पहना क्या किया टॉप टीआरपी में शामिल हो जाता है…लेकिन मेरी कॉम की पीड़ा की खबर खेल समाचारों के शोर में दब कर ही रह गई है।

बात ओलंपिक की हो रही है तो फिर उन खिलाड़ियों को भी सबक सिखाया जाना चाहिए जो तमगा तो 'वर्ल्ड चैंपियन' का टांग कर चलते हैं लेकिन ओलंपिक की फाइनल इवेंट के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर पाते। जिन्होंने फाइनल के लिए क्वालिफाई कर भी लिया वो क्वार्टरफाइनल में भी नहीं पहुंच पाते। ऊपर से कैमरे पर खींसे निपोरकर पूरे देश को लज्जित करते हैं।

जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि पति-पत्नी एक ग्रुप में नहीं होंगे तो मेडल ही नहीं जीतेंगे, तीर निशाने पर ही नहीं लगेगा…! करोड़ो रुपये खर्च करने और सालों की मेहनत के बाद रिदमिक एयरोबिक्स में जाने वाले खिलाड़ी मॉडलिंग में व्यस्त रहेंगे…कोई खिलाड़ी मनचाहा कोच न मिलने पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगा तो जहां कोच की जरूरत है वहां कोच ही नहीं दिया जाएगा…!

टोक्यो ओलंपिक खेल अपने अवसान की ओर हैं। पदक तालिका में भारत कहां है पता नहीं! इन हालातों में किसको किससे प्रेरणा मिलेगी? 74 सालों से जो राग गाते चले आ रहे हैं फिर वही दोहराएंगे क्या?

खेलों में खिलाड़ी हावी होने चाहिए, अफसर शाही नहीं। मोदी सरकार में भी नहीं सुधार आया तो कब आएगा?  क्या सरकार या इंडियन ओलंपिक कमेटी इस बात की जांच करवाएगी कि खिलाड़ियो या खिलाड़ी के साथ कोच की जगह अफसर क्यों भेजे गए? जांच हर बात की होनी चाहिए। टेक्सपेयर की गट्टों की कमाई का पैसा खर्च होता है। प्रत्यक्ष लिया जाए या अप्रत्यक्ष जनता ही का पैसा खेल-खिलाड़ी और अफसरों पर खर्च हो रहा है! इसलिए जनता को हर बात का जवाब, हर खामी की जांच और जांच नतीजा भी चाहिए।

मामला चाहे मेरी कॉम के साथ हुए छल का हो या फिर तीरंदाजी, एयरोबिक्स, टीटी, बॉक्सिंग, रेस्लिंग या अन्य खेलों में खिलाड़ियों की हठधर्मी का या फिर खेलों पर भारी अफसर शाही का,  एक सक्षम आयोग बनाकर सभी जांच हो, दोषी को सजा मिले और निर्दोष को कुछ नहीं तो सांत्वना ही सही।

एक खास बात और कि अभी तक जितने भी इवेंट हुए हैं उनमें कुछ एक तो अपवाद मान लिया जाए तो अधिकांश में भारतीय खिलाड़ियों के चेहरों के भाव प्रतिस्पर्धा में पहले से हारे हुए प्रतिद्वंदी जैसे थे। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि हमारे खिलाड़ियों को जो साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग दी जा रही है वो किस स्तर की है?

अनुराग ठाकुर अब आप खेल मंत्री भी हैं… सारे खेलों के मंत्री, आप भी कुछ करेंगे या सब कुछ मोदी जी ही…!! किसी के कान-वान भी ऐंठेंगे या फिर पहले के खेल मंत्रियों की तरह आप भी फोटो ऑप्स तक ही…!!