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DRDO ने इंडियन नेवी को दिया सुरक्षा कवच, चीन-पाक से युद्ध हुआ तो अजेय रहेगी भारतीय नौ सेना!

DRDO made safety shield for Indian Navy

अब दुश्मनों से लड़ने के लिए भारतीय नौसेना को नई ताकत मिलेगी। दरअसल, नौसेना (Indian Navy) के जहाजों को दुश्मन की मिसाइलों के निशाने से बचाने के लिए DRDO ने नया कवच तैयार किया है। एडवांस्ड चाफ टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कवच दुश्मन के रडार को भ्रमित करेगा और जहाज की ओर बढ़ रही मिसाइलों की दिशा बदलने में मदद करेगा। डीआरडीओ ने इस आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम कदम बताया है।

3 वेरिएंट में तैयर किया गया है सुरक्षा कवच

इस कवच को डीआरडीओ की डिंफेस लेबोरेटरी जोधपुर (DLJ) में विकसित किया गया है। DRDO ने कहा कि, इसके तीन वेरिएंट तैयार किए गए हैं। शॉर्ट रेंज चाफ रॉकेट, मीडियम रेंज चाफ रॉकेट और लांग रेंज चाफ रॉकेट। भारतीय नौसेना ने पिछले दिनों इसका अरब सागर में परीक्षण किया जहां इसे पूरी तरह सफल पाया गया। रक्षा उद्योग से जुड़ी कंपनियों को यह टेक्नोलॉजी मुहैयाय कराई जा रही है, ताकि बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन किया जा सके। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, नौसेना और रक्षा रक्षा उद्योग को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

इस टेक्नोलॉजी से भटक जाएगी दुश्मन की मिसाइल

दुनियाभर में जहाजों की हिफाजत के लिए चाफ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। पहली बार द्वितीय विश्य युद्ध के दौरान इसका प्रयोग हुआ था। यह रडार काउंटरमेजर टेक्नोलॉजी है। इसके तहत किसी रॉकेट की मदद से हवा में चाफ मटेरियल का धुआं बना दिया जाता है। इसमें एल्युमीनियम, मेटलाइज्ड ग्लास फाइबर या प्लास्टिक आदि का इस्तेमाल होता है। यह धुआं दुश्मन के रडार पर उसके टारगेट की तरह दिखने लगता है। कई बार रडार पर एक साथ कई टारगेट नजर आने लगते हैं जिसके बाद दुश्मन की मिसाइल को इसकी मदद से आसानी से रास्ते से भटकाया जा सकता है।

DRDO ने कहा कि इस एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि हवा में चाफ मटेरियल की बहुत थोड़ी सी मात्रा भी दुश्मन की मिसाइल को भरमाकर दूसरी ओर ले जाने के लिए काफी है। इससे हमारे जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।