कहते है पृथ्वी यानी धरती हमारी माता है, जिस तरह इंसानों का दिल धड़कता है, उसी तरह धरती का भी दिल धड़कता है, लेकिन ये दिल धड़कना इंसानों के लिए अच्छा नहीं होता, क्योंकि जब-जब धरती का दिल जोरों से धड़का है, तब-तब तबाही आई है। प्राचीन भूगर्भीय घटनाओं के अध्ययन से पता चला है कि धरती समय-समय पर खुद को स्वस्थ रखने के लिए 2.75 करोड़ साल में एक बाद बदलाव लाती है, यानी 2.75 करोड़ साल में बदलाव के लिए धरती का दिल जरूर धड़कता है।
जब यह धड़कता है तो ज्वालामुखी फटते हैं, सुनामी आती है, समुद्री जलस्तर बढ़ता है। भूकंपीय टेक्टोनिक प्लेट्स शिफ्ट होती है यानी प्रलय आता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्री माइकल रैंपिनो और उनकी टीम की स्टडी के मुताबिक अगली बार धरती का दिल करीब 2 करोड़ साल के बाद धड़केगा यानी 2 करोड़ साल के बाद धरती पर फिर प्रलय आएगा। खैर फिलहाल तो इंसान और अन्य जीव सुरक्षित है। माइकल कहते हैं कि छोटी-मोटी प्राकृतिक घटनाएं आपदाएं नहीं है। बड़ी आपदा तो तब आएगी जब धरती का दिल धड़केगा।
Earth Has a 27.5-Million-Year 'Heartbeat', But We Don't Know What Causes Ithttps://t.co/gyPxbzzev2
— ScienceAlert (@ScienceAlert) June 21, 2021
उसकी भूगर्भीय नसों में पल्स दौड़ेगी। माइकल रैंपिनो ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि ये एक सामान्य भूगर्भीय प्रक्रिया है। ये अचानक नहीं होती। कई भूगर्भीय हलचलों का एक क्रम बना होता है, जो आपस में संबंधित होती है। जब सारा क्रम एक साथ जुड़ता है तब धरती का दिल धड़कता है। ये ठीक वैसा ही है जैसे किसी इंसान की सांस अटक जाए। वो हाथ-पैर मार रहा हो। जैसे ही एक बार सांस आती है, तब सबकुछ सामान्य हो जाता है। ठीक इसी तरह धरती की धड़कन अटकी हुई है, जैसे ही एक बार पूरी होगी। सब कुछ सही हो जाएगा लेकिन भारी तबाही के बाद।
माइकल और उनकी टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि करोड़ों सालों की स्टडी में ये पता चला कि है जब भी धरती सांस लेती है तब समुद्री और गैर-समुद्री जीवों का सामूहिक संहार होता है। सुनामी जैसी भयानक गतिविधियां होती है। महाद्वीप टूटकर बिखर जाते है। पृथ्वी के चुंबकीय शक्ति में परिवर्तन होता है। टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराकर या अलग होकर संतुलन बनाने का प्रयास करते है। यह स्टडी जियोसाइंस फ्रंटियर्स में प्रकाशित हुई है।
स्टडी के मुताबिक हर 2.75 करोड़ साल में ऐसी गतिविधियां होती है। अगली गतिविधि करीब 2 करोड़ साल के बाद होगी। धरती पर भूगर्भीय धड़कन की साइकिल 2.60 करोड़ से 3.0 करोड़ साल है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसकी वजह क्या है। माइकल की एक अन्य स्टडी में यह बात बताई गई है कि ऐसे प्रलय उल्कापिंडों के टकराने की वजह से होते है। वहीं किसी अन्य शोधकर्ता ने इसकी वजह प्लैनेट एक्स को बताया है, लेकिन क्या सच में धरती के अंदर भूगर्भीय 'धड़कन' होती है। जी हां. धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेट्स के हिलने और जलवायु परिवर्तन की वजह से धड़कन पैदा होती है। ये एक लंबी भूगर्भीय प्रक्रिया है।