पृथ्वी को लेकर बचपन से तमाम चीजें पढ़ते आ रहे है। बचपन से सुनते आ रहे है कि पृथ्वी गोल घूमती है। धरती 24 घंटे में अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाती है, लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो धरती अपनी धुरी का चक्कर लगाने के लिए 24 घंटे से कम समय लेती है। धरती धड़ाधड़ चक्कर लगाती है। जिसके देख खुद वैज्ञानिक भी हैरान है। वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि पृथ्वी 1670 किलोमीटर प्रतिघंटा के रफ्तार से चक्कर लगा रही है। ये खुलासा न्यूयॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमर्स ने किया है। एस्ट्रोनॉमर्स ने ये जानकारी अपने एक ब्लॉग मे शेयर किया है।
ब्लॉग में एस्ट्रोनॉमर्स ने गणित के साथ इसे समझाया है। उन्होंने बताया कि धरती सूरज से औसत 14.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह आमतौर पर सूरज के चारों तरफ गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाती है। इस गोलाकार कक्षा की परिधि निकालने का फॉर्मूला '2*3.14*93 मिलियन माइल्स' है। एक बार परिधि निकल गई तो कक्षा में घूमने की गति भी निकल जाएगी। ये स्पीड 1.10 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा है। आपने बचपन में पढ़ा होगा कि सौर मंडल के चारों और कई ग्रह चक्कर लगा रहे है। यह सौर मंडल हमारे मिल्की-वे आकाशगंगा में मौजूद है।
कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी की एस्ट्रोफिजिसिस्ट कैटी मैक कहती हैं कि आकाशगंगा में मौजूद तारों की पोजिशन बदलती रहती है। इसके मध्य भाग के चारों तरफ सारे तारे घूमते रहते है। हमारा पूरा सौर मंडल आकाशगंगा के मध्यभाग के चारों तरफ तेजी से घूम रहा है। कैटी ने इसे समझाने के लिए एक बेहतरीन उदाहरण दिया। कैटी कहती हैं कि अगर मैं चलना शुरु करती हूं तो मैं कह सकती हूं कि मैं आगे बढ़ रही हूं क्योंकि मेरे पीछे इमारतें छूट रही हैं। वो मेरे आगे से पीछे की ओर जा रही है, लेकिन जब आप चलते हुए किसी दूर स्थित चीज को देखते है तो लगता है कि वो घूम तो रहा है लेकिन बेहद धीमी गति में। जैसे- कोई पहाड़.
ये सब आपकी पोजिशन और गति पर निर्भर करता है कि आप दूर स्थित उस पहाड़ को कितनी तेज घूमते हुए पाते है। सवाल ये है कि हमारा सौर मंडल अपनी आकाशगंगा के मध्य भाग के चारों तरफ कितनी गति में घूम रहा है। इसका जवाब ये है कि हमारा सौर मंडल आकाशगंगा के मध्य भाग के चारों तरफ 7.20 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है। आकाशगंगा के चारों तरफ काफी दबाव और खिंचाव है। इसे दूसरी आकाशगंगाएं और उनका समूह इसे खींचता है और दबाता है। हमारा सौर मंडल अन्य तारों की गति के अनुरूप आकाशगंगा में अपनी गति कम या ज्यादा तय करता है।
धरती, सूरज या सौर मंडल की गति का इसलिए पता नहीं चलता क्योंकि हम खुद भी धरती पर घूम रहे है, जैसे हवाई जहाज में बैठे पैसेंजर्स को ये पता नहीं चलता कि उनकी गति कितनी है। जब प्लेन टेकऑफ करता है सिर्फ तभी पैसेंजर्स को उसकी गति का थोड़ा अंदाजा लगता है। एक बार प्लेन हवा में पहुंच गया तब आपको उसकी गति पता नहीं चलती, क्योंकि गति एक समान रखी जाती है। वो बदली नहीं जाती।