Global Warmingधरती पर बढ़ता तापमान जीवन के अनुकूल वातावरण को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। ऐसे में हर साल तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। इस बीच यूरोपियन यूनियन की क्लाइमेट मॉनिटरिंग एजेंसी (EU Climate Monitoring Agency) ने कहा है कि इस बार का मार्च महीना पृथ्वी (Earth) का रिकॉर्ड दूसरा सबसे गर्म महीना था। जी हां, पिछले महीने मार्च 2023 में इतनी ज्यादा गर्मी पड़ी कि उसने दक्षिणी ध्रुव के समुद्र यानी अंटार्कटिका महासागर में जमी बर्फ को पिघला दिया।
दरअसल, कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल का पिछला महीना यानि (March 2023) विश्व स्तर पर दूसरा सबसे गर्म मार्च था। यह रिपोर्ट दुनिया भर के उपग्रहों, जहाजों, विमानों और मौसम केंद्रों से असंख्य मापों का इस्तेमाल कर कंप्यूटर के विश्लेषणों पर आधारित है। इस दौरान बताया गया है कि मार्च के दौरान धरती पर तापमान दक्षिणी और मध्य यूरोप में औसत से ऊपर और उत्तरी यूरोप के अधिकांश हिस्सों में औसत से नीचे था।
धरती के ज्यादातर हिस्से रहे गर्म
मालूम हो इस बार मार्च महीने में उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी रूस, एशिया, उत्तर पूर्वी उत्तरी अमेरिका, सूखाग्रस्त अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और तटीय अंटार्कटिका सहित दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्से औसत से काफी ज्यादा ग्राम थे। इसके विपरीत उलट, मार्च के ही महीने में पश्चिमी और मध्य उत्तरी अमेरिका औसत से अधिक ठंडे रहे। मौसम विशेषज्ञ बार-बार ऐसी चेतावनी दे रहे हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी पर समुद्री बर्फ कम हो रही है और जल का स्तर बढ़ रहा है, यदि ऐसा होता रहा तो कई देशों की भूमि डूब सकती है।
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जितना इलाका बर्फीला वो घटकर कम हुआ
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की ओर से कहा गया है कि अंटार्कटिका समुद्री बर्फ का विस्तार 45 साल के सेटेलाइट डेटा रिकॉर्ड में मार्च के दौरान दूसरी बार सबसे कम था। मतलब कि जितना बर्फीला इलाका होता था तो वो घटकर औसत से 28% कम हो गया। यह बर्फीला इलाका लगातार दूसरे वर्ष फरवरी में तेजी से सिकुड़ा, और बर्फ का यूं पिघलना एक दशक से जारी। धरती के उत्तरी गोलार्द्ध, यानी कि उत्तरी हिस्से आर्कटिक महासागर की बर्फ का विस्तार भी मार्च में औसत से 4% कम दर्ज किया गया, जो कि रिकॉर्ड पर मार्च में चौथी बार सबसे कम पाया गया, हालांकि ग्रीनलैंड सागर में सांद्रता औसत से ऊपर थी।