प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होते दिख रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर यानी ISRO ने ब्रिटेन के लिए 36 सैटेलाइट लॉन्च किया है। इसरो द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट के कुल वज़न 5805 किलोग्राम बताया जा रहा है।
इसरो के इस अभियान को LVM3-M3/OneWeb India-2 नाम दिया हया है। इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेश सेंटर के स्पेसपोर्ट से सुबह 9 बजे की गयी। इसमें भारतीय अंतिरक्ष अनुसंधान केन्द्र के 43.5 मीटर लम्बे LVM3 रॉकेट का प्रयोग किया गया है। माना जाता है कि यह इसरो का सबसे वजऩ वाला रॉकेट है।चन्द्रयान-2 समेत पांच सफल लांचिंग इस लॉन्च पैड से की जा चुकी है। यह इसकी छठी सफल उड़ान है।
बताया जा रहा है कि ब्रिटेन के इन 36 सैटेलाइट लॉन्चिंग मिशन में अमेरिका ,जापान समेत कुल 6 कंपनियों की हिस्सेदारी है।इसमें ब्रिटेन की सरकार,हिन्दुस्तान की भारती इंटरप्राइजेज ,अमेरिका के ह्यूज्स नेटवर्क्स ,फ़्रांस की यूटेलसैट, जापान का सॉफ़्टबैंक और दक्षिण कोरिया के डिफ़ेंस कंपनी हनव्हा की हिस्सेदारी है। यह सैटेलाइट पर आधारित सेवा देने वाला एक ऐसा संचार संस्थान है,जिसका मुख्य कार्यालय लंदन है।
अगर ये उड़ान सफल रही, तो हर कोने में स्पेस पर आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस की व्यवस्था मुक्कमल होगी।
LVM3-M3/OneWeb India-2 मिशन की जानकारी इसरो ने सोमवार को ट्वीट के जरिए दी थी। 16 फ़रवरी को ही OneWeb के 36 सेटेलाइट्स फ्लोरिडा से भारत आ गये थे। यह मिशन अगर सफल रहा तो, वनवेब इंडिया-2 अंतरिक्ष में 600 से ज़्यादा लोअर अर्थ आर्बिट सेटेलाइट के कान्स्टलेशन को पूरा करने में सक्षम हो जायेगा। इससे स्पेस आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा मुहैया कराने में दुनिया के किसी भी कोने में मदद मिलेगी।
आखिर क्या होता है लो अर्थ ऑर्बिट?
दरअसल,पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा को ही लो अर्थ ऑर्बिट कहा जाता है। इसकी ऊंचाई अर्थ के सभी दिशा में 1600 किमी से 2000 किमी की होती है। इस कक्षा में किसी भी वस्तु की गति 27 हज़ार किलोमीटर प्रति घंटा होती है। यही वजह है कि इस एरिया में मौजूद कोई भी सैटेलाइट तेज़ी से गतिमान रहता है।
23 अक्टूबर 2022 को हुई थी वनवेब के पहले बैच की लॉन्चिंग
वनवेब के कुल 72सैटेलाइट में से 36 सैटेलाइट का पहला बैच LVM3-M2/OneWeb India मिशन 23 अक्टूबर, 2022 को लॉन्च किया गया था। ये सभी सैटेलाइट GSLV-Mk III के जरिए छोड़े गए थे। इसे सफलतापूर्वक लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया था।