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ISRO करने वाला है अनोखा प्रयोग,जानिए ISRO के इस नायाब प्रयोग के बारे में ।

ISRO ने लॉन्च किया एक साथ 7 सैलेटाइट

ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा 30 जुलाई को एक साथ 7 सैटेलाइट को लॉन्च करने के बाद PSLV-C56 रॉकेट के चौथे फेज के उपयोग करके एक नया प्रयोग शुरू कर रहा है। इस मिशन में ISRO  के साइंटिस्ट PSLV रॉकेट के चौथे चरण को निचली कक्षा में स्थापित करने की चुनौती का सामना करेंगे।

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित ISRO अंतरिक्ष  के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। इसरो ने रविवार यानी 30 जुलाई को एक साथ 7 सैटेलाइट को लॉन्च किया है।

ISRO के इस लॉन्चिंग में एक स्वदेशी और सिंगापुर के 6 सैटेलाइट शामिल हैं। इन उपग्रहों को पीएसएली-सी56 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया है। बता दें, इसरो की कॉमर्शियल ब्रांच पीएसएलवी-सी56 न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का मिशन है।

इसके बाद वैज्ञानिक करेंगे नया प्रयोग

सिंगापुर के 6 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद इसरो के वैज्ञानिक एक नए प्रयोग करने वाले हैं। ISRO द्वारा PSLV-C56 रॉकेट के चौथे चरण का उपयोग करके एक नया प्रयोग शुरू कर रहे हैं। इस साल अप्रैल में लॉन्च किए गए PSLV-C55 TeLEOS-2 मिशन में आज वैज्ञानिक पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण को निचली कक्षा में स्थापित करने का प्रयास करेंगे।

आखिर क्या है ISRO का प्लान?

इसरो के मुताबिक, सिंगापुर के सभी सैटेलाइट को लगभग 536 किमी की ऊंचाई पर इच्छित कक्षा में स्थापित करने के बाद, रॉकेट के ऊपरी चरण को लगभग 300 किमी की ऊंचाई पर इसकी कम कक्षीय जीवन सुनिश्चित करने के लिए निचली कक्षा में रखा जाएगा। .

वहीं ISRO का कहना है कि , ‘पीएस4  को 300×300 किमी में निचली पृथ्वी की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिसमें खर्च किए गए पीएस4 चरण के कक्षीय जीवन को कम करने के लिए बचे हुए प्रपेलन्ट का उपयोग किया जाएगा।’

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