माइक्रोब्लॉगिंग ऐप Koo में चीनी निवेश पर सरकार ने सफाई दी है। सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि इस ऐप में चीनी निवेश नियम के मुताबिक हुआ है और इस ऐप का विकास देश में ही हुआ है।
Koo app हाल में काफी चर्चा में आया, जब इससे बहुत से सरकारी विभाग और सेलेब्रिटी जुड़ने लगे। इसे ट्विटर का देसी संस्करण बताया जाने लगा। लेकिन इस खबर पर विवाद शुरू हुआ है कि इस ऐप की पैरेंट कंपनी Bombinate टेक्नोलॉजी में चीन की कंपनी Shunwei कैपिटल ने निवेश किया है। हालांकि कंपनी में उसका निवेश 9 फीसदी से भी कम है।
लोकसभा में यह सवाल किया गया था कि सरकार को क्या इस बात की जानकारी है कि कू ऐप की पैरेंट कंपनी में एक चीनी फर्म ने निवेश किया है? इस सवाल के लिखित जवाब में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोतरे ने कहा कि 17 अप्रैल, 2020 के पहले आईटी कंपनियों में ऑटोमेटिक रूट से 100 फीसदी निवेश की इजाजत थी। यह निवेश उसके पहले हुआ था, इसलिए नियम के मुताबिक है। 17 अप्रैल, 2020 को सरकार एक नया नोटिफिकेशन लेकर आई जिसके मुताबिक पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई के लिए सख्त जांच की व्यवस्था की गई।
ऐप के निवेशक
इस ऐप के प्रमुख निवेशकों में पूर्व क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ, बुक माय शो के फाउंडर आशीष हेमराजानी, उड़ान के को-फाउंडर सुजीत कुमार, फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति और जेरोधा के फाउंडर निखिल कामत शामिल हैं।
संजय धोतरे ने कहा, ' DPIIT के प्रेस नोट 3 में, एफडीआई नीति खंड, पैरा 3।1।1(a) में कहा गया है कि कोई गैर निवासी कंपनी एफडीआई पॉलिसी के मुताबिक भारत में निवेश कर सकती है, सिर्फ उन सेक्टर और गतिविधियों को छोड़कर जहां इस पर रोक है। लेकिन भारत की सीमा से सटे देशों की कंपनियों का यदि निवेश है या इस निवेश से ऐसे किसी देश के नागरिक को फायदा हो रहा है, तो निवेश को सरकारी जांच के बाद ही इजाजत दी जाएगी।' उन्होंने कहा कि कू ऐप में जो चीनी निवेश हुआ है वह DPIIT के इस नए प्रेस नोट से पहले का है।