चांद के बारे में नासा और भी कई जानकारियां जुटा रहा है। इस कड़ी में नासा ने एक अहम खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी में बदलते मौसम की घटनाएं चंद्रमा के कारण भी होती है। दरअसल, भयंकर तूफान हो या प्रकृति आपदा… इसके लिए हम जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मानते है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा पर हो रही हलचल भी पृथ्वी के इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि करीब 9 साल बाद चंद्रमा अपनी जगह बदलेगा, जिसके कारण पृथ्वी पर तबाही आने वाली है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने एक स्टडी के जरिए दावा किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी होगी और चंद्रमा अपनी कक्षा में डगमगाने लगेगा। जिसके चलते पृथ्वी पर विनाशकारी बाढ़ आ सकती है। क्लाइमेट चेंज में छपी एक रिपोर्ट में के मुताबिक,अमेरिकी तटीय इलाकों में 2030 के दशक में उच्च ज्वार के कारण होने वाली बाढ़ की रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी होगी। नासा के एक अध्ययन के अनुसार 2030 के दशक के मध्य तक ये विनाशकारी बाढ़ लगातार और अनियमित रूप से जनजीवन को प्रभावित करेगी।
नासा के स्टडी के अनुसार ज्यादातर अमेरिकी तटरेखा में कम से कम एक दशक तक उच्च ज्वार में तीन से चार गुना वृद्धि देखी जाएगी। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ये बाढ़ पूरे साल प्रभावित नहीं करेगी बल्कि कुछ ही महीनों में बड़े पैमाने पर अपना असर दिखाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई में असिस्टेंट प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक फिल थॉम्पसन ने पृथ्वी पर चांद के असर के चलते हुए बाढ़ आने के बारे में कहा कि चांद जब अपनी कक्षा में डगमगाता है, तो इसे पूरा होने में 18.6 साल का वक्त लगता है, लेकिन पृथ्वी पर बढ़ती गर्मी के चलते बढ़ते समुद्रीय जलस्तर के साथ मिलकर ये खतरनाक हो जाता है।
थॉम्पसन ने कहा कि 18.6 सालों में आधे समय तक यानी तकरीबन 9 साल तक पृथ्वी पर समुद्र में सामान्य टाइड का उठना कम हो जाता है। हाई टाइड की ऊंचाई सामान्य तौर पर कम होती है, लो टाइड की ऊंचाई सामान्य तौर पर ज्यादा होती है। वहीं अगले 9 साल तक इसका उल्टा होता है। अगली बार ये चक्र 2030 के आसपास बनेगा, जिससे सामान्य जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होगी।