अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) अब मंगल ग्रह (Mars) पर मिनी हेलीकॉप्टर उड़ाने की तैयारी में है। नासा ने मंगल ग्रह पर भेजे गए पर्सिवियरेंस रोवर (Perseverance rover) के साथ इंजिन्यूटी नाम का एक छोटा सा हेलीकॉप्टर भी भेजा है। इस तरह से ये पहला मौका होगा जब कोई हेलीकॉप्टर मंगल की सतह से उड़ेगा और उसका नजारा कैमरे में कैद करेगा। वहीं, इस हेलिकॉप्टर का नाम भारतीय मूल की एक छात्रा ने देकर देश का गौरव बढ़ाया है।
दरअसल नासा ने मंगल हेलीकॉप्टर के नाम के लिए 'ने द रोवर' नाम से प्रतियोगिता आयोजित की थी। जिसमें भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी ने हिस्सा लिया और एक निबंध लिखा। नासा ने उनके निबंध के बाद हेलीकॉप्टर का नाम रखा। उन्होंने इस हेलीकॉप्टर का नाम इंजुनइटी रखा। 17 साल की वनीजा अमेरिकी में नॉर्थपोर्ट के एक स्कूल में पढ़ती हैं।
नासा ने खुद ट्वीट करके बताया था कि, हमारे मार्स हेलिकॉप्टर को नया नाम मिल गया है। मिलिए इंजनुइटी। नासा यह भी लिखा कि छात्रा वनीजा रुपाणी ने 'नेम द रोवर' प्रतियोगिता के दौरान नामकरण किया 'इंजनुइटी' दूसरी दुनिया में पहली यांत्रिक ऊर्चा उड़ान के प्रयास के तहत लाल ग्रह पर 'पर्सिवियरेंस' के साथ जाएगा।
हेलीकॉप्टर का फर्स्ट लुक
सोमवार को रोवर की टीम ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि 'मलबे के ढेर से कुछ दूरी पर यह रहा हमारे हेलीकॉप्टर का फर्स्ट लुक। यह एक तरफ से कुछ झुककर एक स्थान पर आकर खड़ा हुआ है। अब इसे आगे के लिए एडजस्ट करने से इसे सटीक दिशा में वापस घुमाकर लाना होगा। पहले इसके तय हेलीपैड तक पहुंचाया जाएगा'।
मंगल पर नासा रचेगा इतिहास
नासा के वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके पहले धरती के अलावा किसी भी दूसरे ग्रह पर रोटरक्राफ्ट या ड्रोन हेलिकॉप्टर नहीं भेजा गया है। यह पहली बार है जब इंजिन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर उड़ान भरेगा। अगर यह उड़ान के समय सफलता हासिल करता है तो भविष्य में अन्य ग्रहों पर ऐसे ड्रोन या रोटरक्रॉफ्ट जैसे यान भेजा जा सकेगा।
नासा (NASA) का ये रोवर फिलहाल उसी जगह पर है जहां इंजेन्वनिटी को अपनी एतिहासिक उड़ान भरनी है। नासा के प्लानेटरी साइंस डिवीजन के डायरेक्टर लॉरी ग्लेज ने कहा कि, 1997 में नासा के सोजर्नर रोवर ने पहली बार इस ग्रह की सतह को छुआ था। उस वक्त ये बात साबित हो गई थी कि इस लाल ग्रह पर चलना मुमकिन है। उन्होंने कहा कि, इंजेन्वनिटी वैज्ञानिक काफी कुछ जानना चाहते हैं। यदी अपने काम में इंजेन्वनिटी सफल होता है तो इसको और आगे तक बढ़ाया जाएगा। इस तरह से ये भविष्य में मंगल पर होने वाली खोज में अहम भूमिका भी अदा कर सकेगा।