अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की ओर से मंगल पर अध्ययन के लिए लॉन्च किया गय इनसाइट लैंडर मिशन शायद अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। दरअसल, 20 दिसंबर को लैंडर की तरफ से एक ट्वीट किया इस ट्वीट के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। माना तो यह भी जा रहा है कि यह लैंडर की तरफ से अंतिम संदेश हो सकता है। लैंडर की तरफ से एक दुखी संदेश भेजा गया है और बताया गया कि उसकी पावर खत्म हो रही है वो जल्द से जल्द साइन ऑफ कर सकता है। इसके बाद माना जा रहा है कि लैंडर का चार साल का एतिहासिक मिशन खत्म हो जायेगा। नासा की तरफ से नवंबर में आगाह किया गया था कि मंगल ग्रह की धूल रोबोट पर जम गई है और इतनी ज्यादा है कि उसने इसकी सारी पावर को खा लिया है।
लैंडर ने किया बेहद दर्द भरा मैसेज
लैंडर की तरफ से जो ट्वीट किया गया है वह कुछ इस तरह से है, ‘मेरी पावर वाकई बहुत कम हो गई है। हो सकता है कि यह मेरी आखिरी तस्वीर है जो मैं भेज सकता हूं। लेकिन फिर भी मेरे बारे में चिंता मत करिएगा। मेरा समय यहां पर काफी उत्पादक और खूबसूरत रहा है। अगर मैं अपनी मिशन टीम से बात करना जारी रख सकता हूं, तो मैं करूंगा, लेकिन मुझे साइन ऑफ करना होगा। मेरे साथ रहने के लिए शुक्रिया।’
My power’s really low, so this may be the last image I can send. Don’t worry about me though: my time here has been both productive and serene. If I can keep talking to my mission team, I will – but I’ll be signing off here soon. Thanks for staying with me. pic.twitter.com/wkYKww15kQ
— NASA InSight (@NASAInSight) December 19, 2022
बता दें, इनसाइट लैंडर की बैटरी कम हो रही है। कुछ महीने पहले ही इनसाइट ने अपना काम करना शुरू किया था। इसने मई महीने में आए मंगल ग्रह पर आए सबसे तगड़े भूकंप को रेकॉर्ड किया था। इनसाइट लैंडर ने मंगल ग्रह की काफी खूबसूरत तस्वीरें क्लिक की थीं। इनसाइट लैंडर के सोलर पैनल्स पर जमी धूल की परत काफी गहरी हो गई थी। इसकी वजह से इसकी बैटरी लगातार कम होती जा रही थी।
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किस लिए भेजा गया था लैंडर
नासा (NASA) ने दो नवंबर को बताया था कि अगले कुछ हफ्तों में इसका अंत हो सकता है। नासा के मुताबिक लैंडर के दो मुख्य काम थे। पहले इसे यह पता लगाना था कि मंगल ग्रह की रचना कैसे हुई। इसके लिए इसे उसके अंदर के हिस्सों का अध्ययन करना था। इसके अलावा विभिन्न पर्तों के जरिए इसकी भौगोलिक संरचना का पता करना था। जो दूसरा काम इसके जिम्मे था उसके तहत इनसाइट को यह पता लगाना था कि कैसे आज मंगल ग्रह टेक्टोनिकली कितना सकिय है और कितने उल्कापिंड इसे प्रभावित करते हैं। इसमें मंगल ग्रह पर आने वाले भूकंपों का भी अध्ययन करना था। इस ग्रह पर 1300 से ज्यादा बार भूकंप आए हैं।
चार साल का मिशन
इनसाइट ने चट्टानी ग्रहों के अंदरूनी हिस्सों के लिए हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया है। इसने भविष्य के कई बड़े मिशन को एक मंच दिया है। उनकी मानें तो अब पृथ्वी, चंद्रमा, शुक्र और यहां तक कि बाकी सौर मंडलों में चट्टानी ग्रहों के लिए मंगल ग्रह (Mars planet) की आंतरिक संरचना के बारे में जो कुछ भी पता लगा है उसे लागू किया जा सकता है। साल 2018 में इनसाइट ने मंगल ग्रह पर कदम रखा था धरती पर मंगल का एक दिन 40 मिनट ज्यादा लंबा होता है। इस समय वह 500 वॉट ऊर्जा ही पैदा कर पा रहा है।