नाशा के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 90 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक नए एक्सोप्लैनेट की खोज की है। इस अद्भुत ग्रह को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसपर धरती की तरह ही पानी के बादल मिल सकते हैं। यह एक्सोप्लैनेट हमारे सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रह हैं। TOI-1231b नामक यह एक्सोप्लैनेट हर 24 दिनों में अपने तारे की एक परिक्रमा पूरी करता है। जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी और न्यू मेक्सिको यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक्पोप्लैनेट TOI-1231B की खोज की
60 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा संकेत
शोधकर्ताओं का मानना है कि TOI-1231b का औसत तापमान 140 डिग्री फ़ारेनहाइट (60 डिग्री सेल्सियस) है। इतना तापमान इसे अपने वायुमंडल के भविष्य के अध्ययन के लिए अबतक उपलब्ध छोटे एक्सोप्लैनेट में से सबसे अच्छे में से एक बनाता है। नासा की जेनिफर बर्ट ने कहा कि अब तक पाए गए अधिकांश एक्सोप्लैनेट की तुलना में टीओआई-1231 बी सकारात्मक रूप से ठंडा है। एक्सोप्लैनेट जितना ठंडा होगा, उसके वायुमंडल में बादल होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
इसके साथ ही रिसर्चर्स ने कहा है कि एक्सोप्लैनेट का घनत्व कम है, जिससे पता चलता है कि यह पृथ्वी जैसा चट्टानी ग्रह नहीं, बल्कि एक गैसिय ग्रह है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वे अभी तक ठीक प्रकार से ग्रह या उसके वातावरण की संरचना के बारे में नहीं जानते हैं, शोधकर्ताओं ने कहा कि इस बात की संभावना है कि वातावरण में ऊंचे बादल मौजूद हों और पानी के संभावित सबूत हों। न्यू मेक्सिको यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रॉनोमी की असिस्टेंट प्रोफेसर डायना ड्रैगोमिरो ने कहा कि TOI 1231b का कम घनत्व इस बात की ओर इशारा करता है कि यह एक चट्टानी ग्रह होने के बजाय पर्याप्त वातावरण से घिरा हुआ है। लेकिन इस वातावरण की संरचना और सीमा के बारे में हमें जानकारी नहीं है।
प्रोफेसर डायना ड्रैगोमिरो ने कहा है कि TOI 1231 b में बड़ा हाइड्रोजन या हाइड्रोजन-हीलियम वातावरण या सघन जल वाष्प वातावरण हो सकता है। इनमें से हर एक अलग उत्पत्ति की ओर इशारा करता है। इससे एस्ट्रोनोमर्स को यह समझने में मदद मिलेगी कि हमारे सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ग्रहों की तुलना में M बौने तारे के आसपास चक्कर लगाने वाले ग्रह कैसे बनते हैं। वहीं, अगर TOI 1231 b पर पानी वाले बादलों की खोज हो जाती है, तो ये मनुष्यों के लिए बहुत बड़ी खोज होने वाली हैष