अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन की खोज कर रहा है। इस बीच नासा को एक ग्रह पर भी जीवन की संभावनाएं नजर आई है। दरअसल, वैज्ञानिकों को बृहस्पति ग्रह के ठंडे और बर्फीले चांद यूरोपा पर एक बगीचा दिखाई दिया है। इसे के बाद उनकी उम्मीदें बढ़ गईं है। जिसके चलते वैज्ञानिक अब यूरोपा पर जीवन की संभावनाएं तलाश करने में जुट गई है। फिलहाल वैज्ञानिक इस बात की खोज कर रहे है कि आखिर यूरोपा की बर्फीली जमीन पर झाड़ियां और घास किन तत्वों के कारण बढ़ रही है?
🔊👂By listening to the rain of electrons flowing onto gas-giant Jupiter from its volcanic moon Io, researchers using our Juno spacecraft have found what triggers the powerful radio emissions within the monster planet’s gigantic magnetic field: https://t.co/DA3b6ul13L pic.twitter.com/NFWvUNKZ7L
— NASA (@NASA) July 15, 2021
नासा का कहना है कि बृहस्पति ग्रह पर घाटियां, दरारें और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी आकृतियां भी दिख रही हैं। इनमें से कुछ आकृतियां काफी गहरे रंग की भी हैं, जिन्हें घास और झाड़ियां माना जा रहा है। इस जगह पर रेडिएशन का स्तर पर काफी ज्यादा है। नासा की स्टडी कहती है कि यूरोपा पर दिखने वाले इम्पैक्ट क्रेटर अंतरिक्ष के कचरे के टकराने की वजह से बने हैं। वैज्ञानिक फिलहाल 'यूरोपा क्लिपर मिशन' के तहत निगरानी रख रहे है। यूरोपा के ऊपर जो बर्फ की मोटी और कड़ी परत है, उसके नीचे एक खारा सागर भी है, जहां जीवन की संभावना सबसे ज्यादा मानी जाती है।
जब ये पानी बर्फ की ऊपरी परत से बाहर निकल सकेगा, तो यूरोपा पर जीवन की उत्पत्ति भी हो पाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपा की सतह पर 12 इंच के गड्ढे हैं। फिलहाल यूरोपा पर विनाशकारी रेडिएशन की वजह से यहां केमिकल बायोसिग्नेचर जीवन के रूप में पनप नहीं पा रहे हैं, जैसे-जैसे रेडिएशन कम होगा, वैसे ही जीवन की उत्पत्ति की संभावना बढ़ जाएगी। इसको लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई की प्लैनेटरी रिसर्च साइंटिस्ट एमिली कॉस्टेलो ने कहा कि अगर हमें केमिकल बायोसिग्नेचर मिलते हैं तो हम ये दावा कर सकते हैं कि इम्पैक्ट गार्डेनिंग हो रही है।