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US नेवी में एविएटर थे Neil Armstrong, NASA के ‘मून मिशन’ का ऐसे बने हिस्सा और रखा चांद पर पहला कदम

photo courtesy google

चांद पर पहला कदम रखने वाले अमेरिका के नील आर्मस्ट्रॉन्ग की आज पुण्यतिथि हैं। आज से 52 साल पहले नासा के अपोलो 11 अभियान के तहत नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर कदम रखा। उनकी पुण्यतिथि के मौके पर आज आपको नील आर्मस्ट्रॉन्ग की खास बातें बताते हैं। नील आर्मस्ट्रॉन्ग का जन्म 5 अगस्त 1930 को ओहियो को वापाकाओनेटा में हुआ। उनके पिता स्टीफन कोयनिंग ओहियो राज्य सरकार में ऑडिटर थे। वो तीन भाई बहनों में सबसे बड़े थे। बचपन से ही उनकी दिलचस्पी अंतरिक्ष की ओर थीं।

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अपनी पढ़ाई पूरी करने से बाद उन्होंने एक साल यूएस नेवी में एविएटर के तौर पर काम किया। 1950 में वे उन्हें पूर्ण क्वालिफाइड नेवल एविएटर का दर्जा मिला। 1951 में उन्हें कोरिया युद्ध में टोही विमान उड़ाने की जिम्मेदारी भी दी गई। इस दौरान उन्हें काफी निचली दूरी पर उड़ान भरनी पड़ी। सुरक्षित इलाके में आने के बाद उन्हें विमान से कूदना पड़ा। इस जंग में उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। रिपोर्ट में बताया गया था कि उन पर एंटी एयरक्राफ्ट हमला हुआ था।

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सितंबर 1962 को उन्हें नासा ने एरोनॉट्सकॉर्प के तहत चुना। आर्म्सट्रॉन्ग दो सिविलयन पायलट में से एक थे। इसके बाद जेमिनी अभियान नील को तीन बार अंतरिक्ष जाने का मौका मिला। अपोलो-1 अभियान के बाद ही तय हो गया था कि आर्मस्ट्रॉन्ग उस 18 अंतरिक्ष यात्रियों के दल में शामिल होंगे जिसे चंद्रमा पर जाना है। वहीं लूनार लैंडिंग केअभ्यास के दौरान जब वे उनका विमान उतर रहा था तो सही समय पर पैराशूट खोलने की वजह से वे बाल बाल बच गए।

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अपोलो-11 के क्रू के लिए आर्मस्ट्रॉन्ग को कमांडर चुना गया. उनके साथ बज एल्ड्रिन मॉड्यूल पायलट और माइकल कोलिन्स कमांड मॉड्यूल पायलट चुने गए। 20 चुलाई 1969 को सैटर्न वी रॉकेट से अपोलो 1 अभियान का प्रक्षेपण हुआ और निर्धारित समय के कुछ सेकेंड के बाद ही उनका यान चंद्रमा की सतह पर उतर सका और इस तरह उन्होंने इतिहास रच दिया। 25 अगस्त 2012 को 82 साल की उम्र में ओहियो में उन्होंने अंतिम सांस ली।