भारत के बाद अब रूस भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के विकल्प की तलाश में लग गया है। मास्को ने ऐसे समय में यह कदम उठाया है, जब भारत में भी हाल के दिनों में ट्विटर सुर्खियों में रहा है। ट्विटर का इस्तेमाल यूजर अपनी आवाज को बुलंद करने और अन्य मुद्दों पर राय रखने के लिए करते हैं, मगर इन दिनों प्लेटफॉर्म को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है। भारत सरकार का कहना है कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए किसान आंदोलन के दौरान भ्रामक और भड़काऊ पोस्ट साझा की जा रही हैं और आंदोलन को लेकर कई आपत्तिजनक हैशटैग चलाए जा रहे हैं।
वहीं अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह देश के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्रवाई की स्थिति में रूस में विदेशी इंटरनेट सेवाओं को बंद करने की संभावना से इनकार नहीं करते हैं।
इससे पहले, भारत सरकार ने 26 जनवरी को दिल्ली में लाल किले में हुई हिंसा के बाद ट्विटर से स्थायी रूप से कई अकाउंट्स को हटाने के लिए कहा था, लेकिन ट्विटर ने ऐसा नहीं किया। नतीजतन, भारत सरकार ने ट्विटर के विकल्प के रूप में लोगों को 'कू' जैसी स्वदेशी कंपनी का उपयोग करने की सलाह दी थी।
मीडिया के साथ अपनी बातचीत के दौरान, पुतिन ने कहा कि जब तक हम अपने स्वयं के विकल्प के साथ नहीं आ जाते हैं, तब तक विदेशी इंटरनेट सेवाओं को प्रतिबंधित करना संभव नहीं होगा।
पुतिन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके देश के खिलाफ किसी भी प्रकार की शत्रुतापूर्ण गतिविधि में पाया जाता है तो वह इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के खिलाफ कोई भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है।
इस दौरान, राष्ट्रपति पुतिन ने अपने देश की कुछ कंपनियों जैसे यैंडेक्स और सबेरबैंक का भी उल्लेख किया और कहा कि उनके पास अच्छी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा, जब बड़ी तकनीकी कंपनियां यह देखेंगी कि एक विकल्प मौजूद है और उनका इस बाजार में एकाधिकार नहीं है, तो फिर वे अलग तरह से कार्य करेंगी। पुतिन ने अपने सहयोगियों से कहा।
इससे पहले, विदेशी इंटरनेट को प्रतिबंधित करने के लिए रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष ने भी कुछ संकेत दिए गए थे। हाल ही में ही रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने कहा था कि रूस के प्रति प्रतिकूल कार्यों के संदर्भ में विदेशी इंटरनेट ट्रैफिक को कम करनी की संभावना