इस साल अंतरिक्ष की दुनिया अद्भूत खगोलीय घटनाओं से भरा रहा। साल 2020 में सदी का धूमकेतु दिखाई देने के साथ बृहस्पति-शनि का दुर्लभ मिलन और करीब 800 साल बाद पहली बार क्रिसमस स्टार देखने को मिला। यही नहीं अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों की आंख कहे जाने वाले हबल टेलिस्कोप ने होश उड़ा देने वाली तस्वीरें खींचकर दुनिया को अंतरिक्ष के कई राज को सामने परोसा। खास बात यह रही कि इस साल सूरज की बहुत करीब से तस्वीरें आईं। इसको देखने के बाद दुनियाभर के वैज्ञानिकों की आंखें फटी की फटी रह गईं।
<strong>आपको बता दें कि साल 2020 में अंतरिक्ष शताब्दी का धूमकेतु NEOWISE नजर आया। 23 जुलाई को अंतरिक्ष में एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिली। इस दौरान दुनिया के कई हिस्सों में बिना दूरबीन की मदद से धूमकेतु का शानदार नजारा देखने को मिला। यह धूमकेतु अब 6,800 साल तक वापस नजर नहीं आएगा। करीब तीन मील चौड़ा Comet NEOWISE या C/2020 F3 को सबसे पहले मार्च में इन्फ्रारेड NEOWISE स्पेसक्राफ्ट ने खोजा था। यह करीब 3 मील लंबा है और ज्यादातर धूमकेतु आधे पानी और आधे धूल से बने हुए होते हैं। </strong>
उस समय यह धूमकेतु धरती से 7 करोड़ मील दूर था और एक अंडाकार ऑर्बिट में 40 मील प्रतिसेकंड की रफ्तार से घूम रहा था। इस धूमकेतु को लोगों ने बिना दूरबीन के देखा। आमतौर पर धूमकेतु को इतनी आसानी से देखा नहीं जा सकता। इससे पहले Comet Hale-Bope 1995-96 में आया था। जब इसे मार्च में देखा गया था तब यह काफी दूर था और इसी बर्फीली पूंछ साफ-साफ नहीं दिखाई दे रही थी। उस वक्त ऐस्ट्रोनॉमर्स को नहीं पता था कि यहा साफ-साफ दिखाई भी देगा या नहीं
साल 2020 खत्म होने से पहले खगोलीय घटनाओं के खजाने में से जिस दुर्लभ मौके का इंतजार दुनियाभर में लोग कर रहे थे, उसने आखिरकार अपनी झलक दिखा ही दी।
<strong>बृहस्पति और शनि सोमवार शाम धरती से देखे जाने पर एक-दूसरे के इतने करीब थे कि इन्हें अलग-अलग पहचानना मुश्किल हो रहा था। इस महान संयोग के गवाह बने दुनिया के लाखों लोग जिन्होंने इस पल को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया। आपको बता दें कि 400 साल बाद ये दोनों ग्रह इतने ज्यादा करीब आए हैं। खास बात यह है कि 800 सौ साल बाद यह मौका रात के वक्त आया है जिस कारण इसे देखा जा सकता है, वरना सूरज की रोशनी में दोनों छिप जाते हैं। great conjunction हर 20 साल बाद होता है लेकिन इस साल ये दोनों सिर्फ 0.1 डिग्री दूर हैं जो इस मौके को खास बनाता है। </strong>
क्रिसमस से सिर्फ चार दिन पहले दिखने के कारण इसे इस साल 'क्रिसमस स्टार' कहा गया। साल 2020 में यूरोप में स्थित टेलीस्कोप ने सूरज की अब तक की सबसे साफ तस्वीर खींचने में सफलता हासिल की है। सूरज की ये ताजा तस्वीरें जहां काफी स्तब्ध करने वाली हैं, वहीं काफी डरावनी भी हैं। स्पेन में अंतरिक्ष में नजर रखने वाले जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ग्रेगोर टेलीस्कोप की मदद से सूरज की ये हाई रेज्यूलेशन तस्वीरें खीचीं हैं। ये टेलीस्कोप टाइडे ऑब्जरवेटरी में लगाया गया है। इन तस्वीरों की मदद से अब वैज्ञानिक चुंबकीय क्षमता, वायुमंडलीय विक्षोभ, सौर लपटों तथा सनस्पॉट का गहराई से अध्ययन कर सकेंगे।
<h3>ग्रेगोर टेलीस्कोप की मदद से सूरज की तस्वीरें खींची गई</h3>
वैज्ञानिकों ने कहा कि ग्रेगोर टेलीस्कोप की मदद से अब सूरज की ऐसी तस्वीरें खींची जा सकेंगी जैसे उसे 48 किमी की दूरी से देखा जा रहा हो। जर्मन वैज्ञानिकों ने बताया है कि इन तस्वीरों का छोटा का कण भी करीब 865000 मील के व्यास का है। यानी यह स्थिति किसी फुटबॉल के मैदान में एक किलोमीटर की दूरी से एक सूई को खोजने के जैसी है।
वर्ष 2020 में दूसरे ग्रहों पर जीवन है या नहीं, इस संबंध में वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। दरअसल, वैज्ञानिकों को एक ऐसा ग्रह मिला है जो एक सितारे का चक्कर काट रहा है। हालांकि, हैरान करने वाली बात यह है कि यह ग्रह एक चक्कर पूरा करने में 15 हजार साल लगाता है। ऐसा पहली बार है जब इतनी बड़ी कक्षा देखी गई है। माना जाता है कि हमारे सोलर सिस्टम में भी एक बड़ी कक्षा वाला ऐसा ही ग्रह है- Planet Nine और ताजा रिसर्च में संभावना जताई गई है कि दोनों के बीच समानता हो सकती है। इस ग्रह को HD 106906 b नाम दिया गया है।
<strong>इसकी खोज 2013 में की गई थी लेकिन तब इसकी कक्षा के बारे में जानकारी नहीं थी। इसलिए यह ग्रह है, ऐसा भी नहीं कहा जा सका था। Hubble Telescope की सटीकता से इसके मूवमेंट का पता लगाया जा सका है। इसका द्रव्यमान (mass) बृहस्पति (Jupiter) से 11 गुना ज्यादा है। ये दो HD 106906 सितारों का चक्कर काट रहा है। ये दोनों सितारे 1.5 करोड़ साल पुराने हैं और 100 दिन में एक-दूसरे का चक्कर पूरा कर लेते हैं। ये पूरा सिस्टम हमसे 336 प्रकाशवर्ष दूर है। </strong>
साल 2020 के आखिरी महीने दिसंबर में 14 दिसंबर को सूर्यग्रहण हुआ। इस दौरान दिन के वक्त चांद ने धरती का चक्कर काटते हुए सूरज को पूरी तरह ढक लिया। हालांकि साल 2020 में कई सूर्यग्रहण चर्चित रहे। यह इस साल का दूसरा और आखिरी ग्रहण होगा। सूर्यग्रहण जैसी घटना देखने के मामले में इस साल भारत काफी लकी रहा। दरअसल, 21 जून को भारत में दिखाई दिया था 'रिंग ऑफ फायर'। इसमें चांद ने सूरज को पूरी तरह से ढका नहीं था बल्कि सूरज पीछे से झांकता रहा। यह नजारा आग के चमकदार छल्ले जैसा नजर आया और इसलिए इसे 'रिंग ऑफ फायर' का नाम दिया गया। इस दौरान कुछ जगहों पर सूरज 99.4 फीसद तक छिप गया।.