<p id="content">दुनिया में पिछले दिनों कई बड़ी तकनीकी फर्मों पर लगाम कसने के प्रयास देखे गए हैं। जिनमें अमेरिका में अविश्वसनीय जांच या यूरोपीय आयोग द्वारा तकनीकी कंपनियों को अपने संबंधित करों का भुगतान किए जाने की बात शामिल हैं। ऐसे में अमेरिका के चुनाव में जो बाइडन-कमला हैरिस की जीत 'फांग या एफएएएनजी' परिवार (फेसबुक, एप्पल, एमेजॉन, नेटफ्लिक्स और गूगल) के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।</p>
हालांकि हैरिस उन चंद लोगों में से एक भी रही हैं, जिन्होंने पिछले साल फेसबुक को तोड़ने (अलग-अलग हिस्सों में बांटने) के विचार का समर्थन किया था। उन्होंने तकनीक में सुधार और उपभोक्ताओं के डेटा के बेहतर संरक्षण की बात कही थी। सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में हैरिस ने कहा था, "फेसबुक ने बड़े पैमाने पर विकास का अनुभव किया है और अपने उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हितों से बढ़कर अपने विकास को प्राथमिकता दी है। हमें फेसबुक को बांटने पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।"
हैरिस के राजनीतिक सफर की शुरुआत मुख्यत: सैन फ्रांसिस्को से हुई है और सिलिकॉन वैली में उनके कई ऐसे दोस्त भी हैं, जो बिग टेक क्षेत्र के कई अरबपति समूहों से संबंधित हैं।
जब बाइडन ने अगस्त के महीने में डेमोक्रेटिक पार्टी से उप राष्ट्रपति पद की दावेदार के रूप में उनकी घोषणा की थी, उस वक्त फेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने हैरिस की एक तस्वीर को इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए उन्हें अपना समर्थन दिया था और साथ ही 'दुनियाभर की अश्वेत महिलाओं व लड़कियों के लिए उनकी दावेदारी को एक बड़ा पल करार दिया था।'
इसके अलावा, साल 2014 में कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल के तौर पर हैरी के पुनर्निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान सेल्सफोर्स के सीईओ मार्क बेनीऑफ, एयरबीएनबी के सीईओ ब्रायन चेस्की और याहू की तत्कालीन एक्जीक्यूटिव मरिसा मेयर और एप्पल के जॉनी ईव जैसी हस्तियां धन जुटाने के काम में शामिल रहे थे।
ऐसे ही कई तरह के वाकये हैं, जिनमें कमला और तकनीकि कंपनियों के बीच बेहतर संबंध देखने को मिले हैं, जिसके चलते हो सकता है कि आगे आने वाले समय में वह इनके लिए बेहतर साबित हो।.