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एलियन्स को तलाशने के लिए चीन ने दुनिया को दी ‘स्वर्ग की आंख’, ऑनलाइन आवेदन कर अगस्त से शुरु कर सकते है इसका इस्तेमाल

photo courtesy Xinhua

चीन किसी भी मामले में पीछे नहीं रहना चाहता। इसके लिए वो वक्त-वक्त पर खोज और नए-नए तरीके अपनाता रहता है। इस कड़ी में अब चीन ने एलियन्स को तलाशने के लिए दुनियाभर के एस्ट्रोनॉमर्स को 'स्वर्ग की आंख' दी। अब यहां आप सोच रहें होंगे कि आखिर ये 'स्वर्ग की आंख' क्या है ?, दरअसल, ये एक हिंदी अर्थ है चीन शब्द के 'तियानआन' का। चीन वैज्ञानिकों ने रेडियो टेलिस्कॉप का नाम 'तियानआन' रखा है। ये टेलिस्कॉप एलियन्स को तलाशने में मदद करेगा। ये टेलिस्कॉप चीन के प्रांत गुइझोउ के डाओडांग में स्थित है। वैज्ञानिकों ने इस टेलिस्कॉप को दुनियाभर के एस्ट्रोनॉमर्स के लिए खोल दिया है।

आपको बता दें कि 'तियानआन', जिसका हिंदी शाब्दिक अर्थ 'स्वर्ग की आंख' है, इस टेलिस्कॉप को बनाने में चीन को 5 साल लगे थे। इसे पिछले साल जनवरी में शुरु किया गया था। तब से ये वैज्ञानिकों की हर उम्मीद पर खरा उतरा है। इसने अब तक 300 पुच्छल तारों का पता लगाया है। यहां आपको पता दें कि पुच्छल तारा धूमकेतु को कहते है। धूमकेतु चट्टान, धूल और जमी हुई गैसों से बनते है, जो सूरज के पास आने पर विपरीत दिशा में फैल जाते है। इस दौरान उसके कई हिस्से हो जाके है। सिर का हिस्सा ज्यादा चमकदार होता है, इसे नाभिक कहते है। वही बीच के हिस्से को कोमा और सबसे पीछे के हिस्सा, जो एक पूंछ की तरह दिखाई देता है.. उसे 'पुच्छल तारा' कहा जाता है।    

पुच्छल तारों के अलावा, तियानआन टेलिस्कॉप ने दूसरे स्तर पर भी सफलता हासिल की है।  एस्ट्रोनॉमर्स को इस टेलिस्कॉप का इस्तेमाल करने के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन करने के बाद एस्ट्रोनॉमर्स अगस्त से इसका इस्तेमाल कर सकते है। इस टेलिस्कॉप से जुड़ी कुछ और जानकारी भी जान लें। ये टेलिस्कॉप 16 हजार फुट का है। इसको लेकर 1994 में प्रस्ताव पेश किया गया था, पर मंजूरी साल 2007 में मिली। इसमें 4 हजार से ज्यादा 36 फुट के तिकोने पैनल है। इसमें 33 टन का रेटिना है, जो 525 फीट की ऊंचाई पर है। इसकी कीमत 26 करोड़ है।