मुंबई का वानखड़े मैदान भारत और श्रीलंका के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच और भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का विनिंग छक्का। लगता है कल ही की तो बात है, लेकिन हमें विश्व विजेता बने 10 साल हो गए हैं। 10 वर्ष पहले भारत ने श्रीलंका को हराकर दूसरी बार क्रिकेट वर्ल्ड कप अपने नाम किया था। भारतीय टीम की इस शानदार जीत का गवाह मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम और वहां बैठे सभी लोग बने थे। फाइनल मैच की बात करें तो जहीर खान, गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी उसके हीरो रहे थे। जहीर ने गेंदबाजी तो धोनी और गंभीर ने बल्लेबाजी से फाइनल में जीत पक्की की थी।
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत के सामने श्रीलंका की चुनौती थी। श्रीलंका ने टॉस जीता और पहले बैटिंग की। फिर महेला जयवर्धने की नाबाद 103 रन की पारी के बूते छह विकेट पर 274 रन का स्कोर खड़ा किया। फाइनल में कई बातें भारत के खिलाफ थीं। जैसे श्रीलंका लगातार दूसरा वर्ल्ड कप फाइनल खेल रही थी और आईसीसी टूर्नामेंट में उसका पलड़ा टीम इंडिया पर भारी रहता है। इससे पहले तक कोई भी टीम अपने घरेलू मैदान में वर्ल्ड कप नहीं जीती थी। लक्ष्य का पीछा करते हुए केवल दो ही टीमें फाइनल फतह कर पाई थीं। साथ ही जिस टीम के बल्लेबाज ने फाइनल में शतक लगाया वह कभी हारी नहीं थी। रही-सही कसर वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर के 31 रन पर ही आउट हो जाने ने पूरी कर दी। सहवाग खाता खुलने से पहले ही दूसरी गेंद पर आउट हो गए। सचिन (18) दो चौके लगाने के बाद चलते बने। अब बाजी पूरी तरह श्रीलंका के हाथ में थी। लेकिन ऐसे मौके ही तो हीरो बनने का मौका देते हैं।
इसके बाद चौथे विकेट के लिए धोनी ने गंभीर के साथ मिलकर 109 रनों की पार्टनरशिप की। गंभीर 97 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद धोनी ने युवी के साथ मोर्चा संभाला और नाबाद 54 रनों की साझेदारी करते हुए टीम इंडिया को विश्व विजेता बना दिया। युवी 24 गेंद पर 21 रन बनाकर नाबाद रहे, जबकि धोनी ने 79 गेंदों में 8 फोर और 2 सिक्स की मदद से 91 रन बनाकर नाबाद लौटे।
भारतीय क्रिकेट टीम 28 वर्ष बाद वनडे चैंपियन बनी थी और फैंस जश्न में डूब गए थे। सचिन तेंडुलकर का विश्व विजेता बनने का सपना पूरा हो चुका था। टीम ने मास्टर ब्लास्टर को कंधे पर बिठाकर स्टेडियम का चक्कर लगाया। क्रिकेट टीम के साथ-साथ खेल प्रेमियों की आंखों में भी उस दिन खुशी के आंसू थे। सचिन तेंडुलकर को सम्मान देते हुए जब टीम ने उन्हें कंधों पर उठाकर पूरे मैदान में घुमाया तो वह सबको रोमांचित कर देनेवाला पल था।