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बचपन मुश्किलों में गुजरा,पिता बने मार्गदर्शक अब Team India के लिए जीतना चाहता है विश्व कप।

Team India का धुंआधार बल्लेबाज तिलक वर्मा

Team India का एक ऐसा जांबाज जिसने मुश्किलों में गुजारा अपना बचपन,लेकिन पिता ने राह दिखाई और आज बन गए भारतीय क्रिकेट टीम के अहम सदस्य। इस खिलाड़ी की एक ही तमन्ना है कि वो भारत को World Cup दिलाए। हम बात कर रहे हैं भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते हुए खिलाड़ी तिलक वर्मा के बारे में। जिसने बचपन में प्लास्टिक की बैट से खेलना सीखा,लेकिन पिता के मार्गदर्शन में बन गए अच्छे क्रिकेटर।

Team India की ओर से आईपीएल में धुंआधार प्रदर्शन करने वाले तिलक वर्मा एक के बाद एक कमाल कर रहे हैं। तिलक वर्मा के पिता ने एक रिपोर्ट में कहा कि वो बचपन में प्लास्टिक के बल्ले से खेला करता था। वहीं, उन्होंने कहा कि तिलक के कामयाबी का श्रेय उसके कोच सलाम बयाश को जाता है।

तिलक के सफलता का श्रेय कोच को जाता है

तिलक वर्मा के पिता ने कहा कि टी-20 में बेटे के प्रदर्शन से खुश हूं अब उसका एक ही सपना है कि वह Team India के लिए वर्ल्ड कप जीते। उन्होंने कहा कि गुरु और कोच के आर्शीवाद के बदौलत तिलक अंडर-19 विश्व कप में शामिल हो पाया। तिलक के पिता ने कहा कि कोच सलाम बयाश सर उन्हें बहुत प्रोत्साहित करते थे, चाहे वह उनका दोपहर का भोजन हो या उनका क्रिकेट उपकरण।

बचपन से था क्रिकेट के प्रति लगाव

तिलक वर्मा के पिता नंबूरी का कहना है कि ‘जब वह बच्चा था,तब से ही उसके हाथों में बल्ला हुआ करता था। वह हर समय अपने बल्ले से खेलता रहता था। सबसे पहले मैंने उसके लिए प्लास्टिक का बल्ला खरीदा,जो खिलौने की दुकान में मिलता है। साथ ही उन्होंने कहा कि जब वह सोता था तब भी वह बल्ला और गेंद अपने पास ही रखता था’

मुश्किल वक्त में भी परिवार का मिला साथ

तिलक के पिता का कहना है कि जब मुश्किल वक्त था पैसों की कमी थी उस वक्त में भी पूरा परिवार तिलक का साथ दिया ताकि उसके सपनों में पंख लग सके। वहीं तिलक वर्मा ने कहा कि मेरे इस कामयाबी के पीछे मेरे परिवार का भरपूर साथ रहा। तिलक ने कहा कि मेरे पिता इलेक्ट्रीशियन थे लिहाजा पैसों की किल्लत हमेशा रहती थी। लेकिन मेरे सपने को सच करने के लिए मेरे पिता को बहुत काम करना पड़ता था।वह मुझे क्रिकेट अकादमी में भेजने के लिए सुबह से शाम तक काम करते थे। उन्होंने मेरे लिए बहुत काम किया। कभी-कभी मेरे पास बल्ला नहीं होता था। इसलिए मैं अपने पिता से पूछता था और वह हमेशा कहते थे कि वह मुझे यह उपलब्ध करा देंगे।”

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