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Dale Steyn के पास खेलने के लिए नहीं थे जूते, खदान में काम करते थे पिता, जानें कैसे बने दुनिया के सबसे घातक गेंदबाज

Dale Steyn

साउथ अफ्रीका के तेज गेंदबाज डेल स्टेन ने संन्यास की घोषणा कर दी है। अपनी गेंदबाजी से दुनिया भर के बल्लेबाजों को नचाने वाले स्टेन अब खेलते नहीं दिखेंगे। तेज गेंदबाज ने 17 साल के इंटरनेशनल करियर में विरोधी बल्लेबाजों को नाको चने चबवाए। क्या सचिन, क्या सहवाग, क्या हेडन और क्या रिकी पॉन्टिंग। जब डेल स्टेन शबाब पर थे तो दिग्गज बल्लेबाज भी उनके सामने फीके नजर आए।

अपने करियर में स्टेन ने 699 विकेट झटके। उन्होंने 435 टेस्ट, 196 वनडे और 64 टी20 इंटरनेशनल विकेट अपने नाम किये। हालांकि शुरुआती दिनों में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। स्टेन गरीब परिवार से आते थे। उनके पास जूते खरीदने के भी पैसे नहीं थे। आइए आपको बताते हैं डेल स्टेन ने कैसे फर्श से अर्श तक का सफर तय किया। डेल स्टेन के संघर्ष की कहानी (Dale Steyn Inspirational Story) जानने से पहले आप उनके कुछ आंकड़े जान लीजिये। डेल स्टेन ने सबसे ज्यादा 9 टेस्ट टीमों के खिलाफ पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा किया है। डेल स्टेन 2343 दिनों तक दुनिया के नंबर 1 टेस्ट गेंदबाज रहे जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। डेल स्टेन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे ज्यादा 70 टेस्ट विकेट हासिल किये। न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने 68 और भारत के खिलाफ 65 शिकार किये। डेल स्टेन साउथ अफ्रीका की ओर से सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज भी हैं।

स्टेन के पिता एक तांबा खदान में काम करते थे और उनका परिवार बेहद गरीब था। स्टेन नहीं चाहते थे कि वो तांबा खदान में काम करें इसलिए उन्होंने हर हाल में गांव छोड़ने का फैसला किया। एक इंटरव्यू में स्टेन ने बताया था कि वो अपने गांव में रहकर कुछ नहीं कर सकते थे इसलिए वो किसी तरह अपने गांव से 350 मील दूर जोहान्सबर्ग आ गए और वहां वो एक हॉस्टल में रहे। स्कूल में रहकर डेल स्टेन क्रिकेट भी खेलने लगे और वो अपने साथी खिलाड़ियों से काफी तेज गेंदबाजी करते थे। हाईस्कूल खत्म करने के बाद स्टेन ने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की जिसका नाम लेसोथो था। वहां उन्हें प्रीटोरिया की बड़ी क्रिकेट एकेडमी में जाने की सलाह मिली।  साउथ अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज डैरेन कलिनन ने स्टेन को गेंदबाजी करते देखा और वो उनसे बेहद प्रभावित हुए। कलिनन ने उन्हें फैंटम्स प्रोविंस टीम में जगह दिलवाई। स्टेन ने 2003 में पहला फर्स्ट क्लास मैच खेला और सिर्फ 7 मैचों के बाद ही उन्हें 2004 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू का मौका मिला।

पोर्ट एलिजाबेथ टेस्ट खेलने के लिए डेल स्टेन ने 1000 किमी। का सफर बस से तय किया। डेल स्टेन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्हें टेस्ट टीम में चुना गया तो वो इसके लिए तैयार नहीं थे। उनके अंदर परिपक्वता नहीं थी। स्टेन ने बताया कि उनके अंदर गांव का बच्चा ही था जो झाड़ियों में नंगे पांव दौड़ता, मछलियां पकड़ता और जानवरों के साथ खेलता था। मानसिक तौर पर वो इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए तैयार नहीं थे। डेल स्टेन ने अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेलने के लिए शॉन पॉलक से जूते मांगे थे। स्टेन ने इंडिपेंडेंट को दिये इंटरव्यू में बताया था कि उनके पास डेब्यू के वक्त सिर्फ एक जोड़ी जूते थे। वो नए जूते नहीं खरीद सकते थे। इसके बाद उन्होंने शॉन पॉलक से एक जोड़ी जूते मांगे और पूर्व साउथ अफ्रीकी कप्तान और तेज गेंदबाज ने उनकी मदद भी की।