महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट के लेजेंड हैं। वो हर भारतीय के दिल में बसते हैं। धोनी भारत के सबसे बड़े विकेटकीपर हैं। लेकिन धोनी को शुरुआती दिनों में काफी मश्कत करनी पड़ी थी। धोनी ने जिस दौर में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था उस वक्त दीप दासगुप्ता, अजय रात्रा, पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे विकेटकीपर टीम इंडिया में दस्तक दे चुके थे। हालांकि इनमें से कोई भी अपनी जगह पक्की नहीं कर पाया। इसके पीछे महेंद्र सिंह का प्रदर्शन भी बड़ा कारण है, क्योंकि टीम इंडिया को ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी, जो तेजी से रन भी बना सके और ये खोज धोनी पर आकर खत्म हुई।
धोनी की टीम इंडिया में कैसे एंट्री हुई, ये कहानी भी काफी दिलचस्प है। पूर्व चीफ सिलेक्टर किरण मोरे ने दावा किया है कि उन्होंने ही धोनी की खोज की। उन्होंने धोनी को टीम में शामिल करने के लिए 10 दिन तक पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को मनाया भी था। कर्टली एम्ब्रोस के साथ एक यूट्यूब इंटरव्यू में मोरे ने कहा कि उस समय हमें एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी, जो आक्रामक बल्लेबाजी भी कर सके और राहुल द्रविड़ की जगह ले सके और हमारी तलाश महेंद्र सिंह धोनी पर जाकर खत्म हुई। बता दें कि राहुल द्रविड़ उस दौरान वनडे में विकेटकीपर की भूमिका निभा रहे थे।
मोरे ने कहा, 'उस समय हम एक पावर हिटर की तलाश कर रहे थे जो 6 या 7 नंबर पर आकर तेजी से 40-50 रन बना सके। राहुल द्रविड़ विकेटकीपिंग कर रहे थे और 75 मैच बतौर विकेटकीपर खेल चुके थे। इस वजह से हम एक विकेटकीपर की तलाश जोर-शोर से कर रहे थे।' किरण मोरे ने 2004 के दिलीप ट्रॉफी के फाइनल का किस्सा याद करते हुए कहा कि हम चाहते थे कि फाइनल में बतौर विकेटकीपर धोनी खेलें। इसके बाद सौरव गांगुली दीपदास गुप्ता से मेरी काफी बहस भी हुई थी। फिर मुझे सौरव और चयनकर्ताओं को फाइनल में दीपदास गुप्ता से विकेटकीपिंग ना कराने और एमएस धोनी को विकेटकीपिंग ना कराने और एमएस धोनी को विकेटकीपिंग करने देने के लिए समझाने में 10 दिन लग गए।
बता दें कि ये फाइनल मुकाबला नॉर्थ जोन और ईस्ट जोन के बीच था। धोनी, सौरव गांगुली और दीपदास गुप्ता ईस्ट जोन की टीम का हिस्सा थे। उस मैच में धोनी ने की थी। उन्होंने पहली पारी में 21 और दूसरी पारी में सिर्फ 47 गेंदों में 60 रन बनाए थे।