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गंभीर का दर्द-ए-दिल, बताया क्यों 2011 विश्व कप की जीत को याद नहीं करना चाहते

gautam gambhir world cup 2011

भारत को वर्ल्ड कप जीते 10 साल हो गए। आज से ठीक 10 पहले यानी 2 अप्रैल 2011 को 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। इस खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले बाएं हाथ के बल्लेबाज गौतम गंभीर को समझ नहीं आता कि शुक्रवार को इस खिताबी जीत के 10 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद लोग अब तक इसे लेकर इतने उत्सुक क्यों हैं।

खिताबी मुकाबले में गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने 97 जबकि धोनी ने नाबाद 91 रन की पारी खेली थी। युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने नाबाद 21 रन बनाने के अलावा 2 विकेट भी चकाए थे। पेसर जहीर खान ने भी 2 विकेट लिए थे। धोनी ने छक्का जड़ टीम इंडिया को शानदार जीत दिलाई थी। मुनाफ पटेल को फाइनल में बेशक कोई विकेट नहीं मिला लेकिन उन्होंने ज्यादा रन भी नहीं दिए।

गंभीर ने कहा, "ऐसा नहीं लगता कि यह कल की बात है। कम से कम मेरे साथ ऐसा नहीं है। इसे अब 10 साल बीत चुके हैं। मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो पीछे मुड़कर काफी अधिक देखता है। बेशक यह गौरवपूर्ण लम्हा था, लेकिन अब भारतीय क्रिकेट के लिए आगे बढ़ने का समय है। संभवत: समय आ गया है कि हम जल्द से जल्द अगला विश्व कप जीतें।" भारत ने उसके बाद से दो वनडे विश्व कप खेले हैं, लेकिन एक भी बार फाइनल में नहीं पहुंच पाए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम 2015 या 2019 विश्व कप जीत जाते तो संभवत: भारत को विश्व क्रिकेट में सुपर पावर माना जाता। इसे 10 साल हो चुके हैं और हमने कोई दूसरा विश्व कप नहीं जीता। इसलिए मैं अतीत की उपलब्धियों को लेकर अधिक उत्सुक नहीं होता।’’

गंभीर ने आगे कहा कि युवराज ने पांचवें गेंदबाज की भूमिका निभाई थी। बकौल गंभीर, ' लोगों का कहना था कि इस जीत का गुमनाम नायक मैं था। लेकिन मेरे लिए दोनों वर्ल्ड कप में युवराज गुमनाम हीरो की भूमिका में थे। मुझे लगता है कि बिना उनके योगदान के भारत 2011 में वर्ल्ड कप नहीं जीत सकता था। मेरे लिए दोनों वर्ल्ड कप में वह बड़े खिलाड़ी थे। यदि दोनों वर्ल्ड कप में मुझे एक खिलाड़ी का नाम लेना हो तो वह युवराज होंगे। हां, मैंने 2007 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में 75 रन बनाए थे लेकिन मुझे लगता है कि जो उन्होंने किया उसकी बराबरी कोई नहीं कर सका।'