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न प्रैक्टिस मैच, न ट्रेनिंग…कीवीओं के खिलाफ कैसे चुनौती पार करेगी विराट की ब्रिगेड?

WTC फाइनल

भारत और न्यूजीलैंड के बीच 18 जून से वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाएगा। इस मैच से पहले टीम इंडिया नेट्स पर जमकर पसीना बहा रही है। नेट्स पर स्टाफ लगातार बॉलिंग मशीन के जरिए बल्लेबाजों को गेंद फेंकते रहते थे। वह स्पीड में बदलाव करते रहते ताकि बल्लेबाजों को विपक्षी टीम की रफ्तार का सामना करने के लिए तैयार किया जा सके। हालांकि मैच प्रैक्टिस की कमी भारत को खलने वाली है। वहीं न्यूजीलैंड पहले से ही इंग्लैंड में है और दो टेस्ट मैच खेल चुकी है। जिसका फायदा कीवियों को मिल सकता है।

कोरोना महामारी के चलते टीम को टूर मैच खेलने का मौका नहीं मिला। न ही उन्हें ऐसे गेंदबाजों को खेलने का अवसर मिला जो गेंद को सीम करवा सकें या लेट स्विंग हासिल कर सकें। ऐसे में बल्लेबाजों को इन परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढालने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और मुख्य चयनकर्ता रहे दिलीप वेंगसरकर ने मैच प्रैक्टिस की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने  बताया, 'मैं हैरान हूं कि कोई भी साइड गेम नहीं खेली गई। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के दौरे के समय ये मैच जरूरी होते हैं।'

विराट कोहली और टीम प्रबंधन के लिए यह काफी बड़ी परेशानी है। आईसीसी के मेजर आयोजनों में न्यूजीलैंड भारत के लिए काफी परेशानी पेश करता रहा है। भारत ने किसी आईसीसी इवेंट में न्यूजीलैंड को आखिरी बार 2003 के वर्ल्ड कप में हराया था। न्यूजीलैंड के पास ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी, नील वेगनर और काइली जैमिसन जैसे धाकड़ गेंदबा हैं। उनके पास यह हुनर है कि वे लगातार एक ही एरिया में गेंदबाजी करते हुए भारतीय टीम के बल्लेबाजों को परख सकते हैं। कोहली ऐंड कंपनी, जिसने काफी समय से टेस्ट मैच क्रिकेट नहीं खेला है, के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है।

भारत ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में 17 टेस्ट मैच खेले। इसमें से 12 में उसने जीत हासिल की। इसके अलावा सिडनी में ऐतिहासिक ड्रॉ भी याद करने लायक है। भारतीय टीम के लिए चिंता की बात यह है कि उसके हारे हुए मैचों में दो न्यूजीलैंड के खिलाफ थे। क्राइस्टचर्च और वेलिंग्टन में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। और साउथम्टन में भी टीम इंडिया को कुछ उसी तरह की परिस्थितियों का सामना करना होगा।

कौन करेगा ओपन?

टीम इंडिया के लिए ओपनिंग एक बड़ा सवाल है। टीम प्रबंधन ने जिन खिलाड़ियों को पारी की शुरुआत करने के लिए चुना है उन्होंने इंग्लैंड में कभी ऐसा नहीं किया है। रोहित शर्मा ने साल 2014 में यहां एक टेस्ट मैच खेला था। वहीं शुभमन गिल ने इंग्लैंड में कोई टेस्ट मैच नहीं खेला है। अन्य दावेदार जो टीम प्रबंधन का भरोसा नहीं जीत पाए, उसमें से एक केएल राहुल थे। भारत ने 2018 में जब पिछली बार इंग्लैंड का दौरा किया था जब उन्होंने ओवल में 149 रन की पारी खेली थी। यह और बात है कि तब तक भारतीय टीम सीरीज गंवा चुकी थी। मयंक अग्रवाल एक और विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज हैं, लेकिन वह भी प्लेइंग इलेवन में अपना स्थान खो बैठे हैं। उन्होंने भी इंग्लैंड में कभी टेस्ट मैच नहीं खेला है। मंगलवार को जब WTC फाइनल के लिए 15 सदस्यीय भारतीय टीम का ऐलान किया गया तो ये दोनों ही उसमें जगह नहीं बना पाए।