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अंकिता के जज़्बे को सलाम, माँ को लीवर देने के बाद बनी एथलीट चैंपियन!

अंकिता के जज़्बे को सलाम! मां को लिवर देने के बाद जीती 3 स्वर्ण और 3 रजत

भोपाल की रहने वाली अंकिता श्रीवास्तव के जज़्बे को सलाम। 18 की उम्र में अपनी मां को दिया लिवर ,उसके बाद एथलीट को चुना और गाड़ दिए सफलता के झंडे।

अंकिता जब तेरह साल की थी तो उसे पता चला कि उनकी मां को ‘लिवर सिरोसिस’ नाम की गंभीर बीमारी है, जिसमें ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है।

ऐसे में जब अंकिता को मालूम हुआ कि उसका लीवर मां के लीवर से मैच हो गया है तो तुरंत फैसला ले ली की वो अपना लीवर मां को देंगी, लेकिन उस वक्त उसकी उम्र कम थी लिहाजा 18 साल उम्र होने तक इंतजार किया गया।

सर्जरी के बाद की दिक्कतें

इन वर्षों में उम्मीद की जा रही थी कि शायद कोई डोनर मिल जाएगा,लेकिन ऐसा नहीं हो सका औऱ 18 साल होने के बाद अंकिता का लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सर्जरी हुई।

हालांकि अंकिता जिस उत्साह से सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर में दाख़िल हुई थीं, सर्जरी के बाद अंकिता की स्थिति उतनी ही नाजुक बनी हुई थी।

कुछ समय पहले तक लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर भारत में ज्यादा जानकारी नहीं थी, न ही लोगों को ये पता था कि ऑपरेशन के बाद मरीज को मानसिक तौर पर कैसे मजबूत किया जाएगा।

अंकिता को जब होश आया तो उसका शरीर छोटी-छोटी मशीनों के तार से लिपटे हुए थे। होश आते ही वो भयंकर पीड़ा से कराहने लगती थी।

अंकिता ने अपनी अनूठी कहानी बयां करते हुए बताया कि “जब कभी हम कार में होते थे तो स्पीड ब्रेकर आने पर मेरा लिवर भी ऊपर नीचे होता था। रात में मुझे केवल सीधा लेट कर सोने की डॉक्टर ने दी थी हिदायत”

ट्रांसप्लांट के तीन महीने के अंदर ही मां का देहांत हो गया।

हालांकि ट्रांसप्लांट के दो से तीन महीने के भीतर ही उसकी मां चल बसी। मानसिक और शारीरिक तौर पर अंकिता के लिए यह सब सहना काफी मुश्किल था। लेकिन इसी दौरान उसने डॉक्टरों की मदद बहुत कुछ सीखा।

अंकिता बताती है कि मां की मौत के बाद उनके पिता हम लोग को छोड़कर अलग हो गए। वो दोनों बहने दादा-दादी के साथ ही रहती थी,और घर चलाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं दोनों बहनों पर आ गई थी।

स्विमिंग और फुटबॉल खिलाड़ी थी अंकिता

ट्रांसप्लांटससे पहले अंकिता स्विमिंग औऱ फुटबॉल की अच्छी खिलाड़ी थी। लेकिन ट्रांसप्लांट के बाद हालात जिस तरह के बने उसने कभी नहीं सोचा था कि वो फिर से खेलों में हिस्सा ले संकेंगी। लेकिन मानसिक और शारीरिक परेशानियों के बाद भी अंकिता के जज़्बे ने उसे हारने नहीं दिया।

इधर, अंकिता घर चलाने के लिए नौकरी तो वहीं, खेलों में वापसी के लिए दोबारा ट्रेनिंग कर रही थी। अंकिता बताती है कि ऑफिस जाने से पहले कुछ घंटे ट्रेनिंग करती थी औऱ ऑफिस से आने के बाद भी दोबारा ट्रेनिंग करती थी।

अंकिता जीत चुकी हैं तीन स्वर्ण और तीन रजत

ट्रांसप्लांट के बाद अंकिता साल 2019 में ब्रिटेन में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स और 2023 में ऑस्ट्रेलिया में हुए विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स में लॉंग जंप और थ्रोबॉल में तीन स्वर्ण और तीन रजत पदक जीत चुकी हैं।

खेल के साथ-साथ मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं अंकिता

अंकिता जहां एक ओर इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं वहीं एक मोटिवेशन स्पीकर और कारोबारी भी हैं। वह मीडिया और मनोरंजन के उद्योग में अपना कारोबार शुरु कर चुकी हैं,साथ भविष्य में और भी बहुत कुछ करना चाहती है। अंकिता में जानने की ललक इतनी है कि वो पेशेवर खेल हो या फिर एडवेंचर स्पोर्ट्स किसी अनुभव से खुद को दूर नहीं रखना चाहती हैं।