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Test Cricket: छह साल पहले मेलबर्न टेस्ट के बाद ही धोनी ने किया था धमाका!

Test Cricket: छह साल पहले मेलबर्न टेस्ट के बाद ही धोनी ने किया था धमाका!

मेलबर्न में भारत की जीत ने एक बार फिर छह साल पुरानी यादें ताजा कर दी हैं। दरअसल, भारत ने 2014 में जैसे-तैसे मेलबर्न टेस्ट ड्रॉ करवाया था। मैदान के बाहर क्या होने वाला है किसी को नहीं पता था। लेकिन तभी तत्कालीन टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा से सब को हैरान कर दिया था। 2014 में भारत मुश्किल से मेलबर्न टेस्ट ड्रॉ करा सका था। इसके चलते बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी हाथ से निकल गई थी क्योंकि पहले दो टेस्ट ऑस्ट्रेलिया जीत चुका था।

2014 में भारत एडिलेड में 48 रन और ब्रिस्बेन में चार विकेट से हारकर सीरीज में 2-0 से पीछे हो गया था। पहले टेस्ट में विराट कोहली ने कप्तानी की थी क्योंकि धोनी अंगूठे में चोट की वजह से खेले नहीं। कोहली ने पहली बारी टीम की कप्तानी की थी। धोनी दूसरे टेस्ट में लौट आए थे। लेकिन भारत फिर हार गया। दोनों मैचों में स्टीव स्मिथ ने रनों का अंबार लगा दिया। 2-0 से पीछे होने पर सीरीज का कारवां मेलबर्न पहुंचा। सिक्का ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में उछला और उसने बैटिंग चुनी।

स्टीव स्मिथ एक बार फिर से टीम इंडिया के लिए मुसीबत बन गए। उन्होंने शतक ठोक दिया। लेकिन दोहरे शतक से आठ रन पहले उमेश यादव ने उन्हें आउट कर दिया। उनके अलावा क्रिस रॉजर्स (57), शेन वॉटसन (52) और ब्रेड हैडिन (55) ने फिफ्टी लगाई। लेकिन टीम इंडिया के लिए नौवें नंबर के बल्लेबाज रायन हैरिस ने कोढ़ में खाज कर दी। उन्होंने 74 रन ठोक दिए। इसके चलते ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 530 रन बनाए। मोहम्मद शमी ने सबसे ज्यादा चार विकेट लिए।

इसके जवाब में भारत ने भी करारा जवाब दिया। पहले ओपनर मुरली विजय ने 68 रन रन की पारी खेली। फिर विराट कोहली (169) और अजिंक्य रहाणे (147) ने जवाबी हमला बोला। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 263 रन जोड़े। लेकिन 409 के कुल स्कोर पर रहाणे के आउट होने से यह जोड़ी टूटी। इसके बाद आखिरी छह विकेट महज 56 रन के अंदर गिर गए। और भारत की पारी 465 रन पर सिमट गई। रायन हैरिस ने चार और मिचेल जॉनसन ने तीन विकेट लिए।

ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में तेजी से रन जुटाए। शॉन मार्श (99) शतक से चूके। वहीं रॉजर्स ने 69 रन बनाए। आखिरकार नौ विकेट पर 318 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया ने पारी का ऐलान कर दिया। भारत को जीत के लिए 384 रन का लक्ष्य मिला। साथ ही मैच बचाने के लिए 70 ओवर। भारत की शुरुआत खराब रही। 19 रन के स्कोर पर शिखर धवन, केएल राहुल और मुरली विजय पवेलियन का रास्ता नाप चुके थे। ऐसे में फिर से कोहली और रहाणे साथ आए। दोनों ने 85 रन जोड़े। लेकिन स्कोर के 142 रन पहुंचते-पहुंचते भारत ने रहाणे, कोहली और पुजारा के विकेट गंवा दिए। मैच में अभी भी 16 ओवर बचे थे। ऐसे में कप्तान धोनी ने अश्विन के साथ मिलकर पारी को संभाला। आगे कोई नुकसान नहीं हुआ और टेस्ट ड्रॉ हो गया।

यहां से सभी खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम होते हुए होटल को चले गए। वहां जाकर धोनी ने जानकारी दी कि वे अब टेस्ट नहीं खेलना चाहते और इससे संन्यास ले रहे हैं। तीनों फॉर्मेट में उनके लिए खेलना मुश्किल हो रहा है। जब धोनी के टेस्ट से संन्यास की खबर सामने आई तो हलचल मच गई। किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत के सफलतम कप्तानों में से एक धोनी इस तरह क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट को अलविदा कह देंगे। धोनी ने जब संन्यास का ऐलान किया तब उनके नाम 90 टेस्ट थे। वे चाहते तो आराम से 100 टेस्ट खेल सकते थे। धोनी ने टेस्ट में 38।09 की औसत से 4876 रन बनाए। 224 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा। इस फॉर्मेट में उन्होंने छह शतक और 33 अर्धशतक लगाए।.